राजीव रंजन मिश्र केर 4 गोट फगुआ विशेष गजल


(1)

रंग भरल मौसिममे नेह मिला देब 
हम अहाँ दुनियाँकेँ चान चढा देब

गाबि देबै नेहक गीत अहाँ आबि
शेर हम फगुआके गाबि सुना देब

नेह पर टीकल संसार भरिक भार 
खाम्ह मिलि नेहक दू चारि गड़ा देब

मोनकेँ नै तोड़ब आइ अहाँ मीत 
रूप रंग लागैए मारि करा देब

फागकेँ मौसिम मदमातल राजीव 
घोरि अहलादक टा भांग पिया देब

२१२ २२२ २१ १२२१

(2)

मौसिम बसंती सियान भेलै हाय राम
आफतमे बूझू परान भेलै हाय राम

पुरवा पवनमा पजारि गेलै मोन माथ
जुलमी सजन बेइमान भेलै हाय राम

हरियर चौतरफा सिमान भेलै गामकेर 
महमह भुवन आसमान भेलै हाय राम 

बन्दूक दुनाली चलाबएछ धाँय-धाँय 
गोरीके नैना कमान भेलै हाय राम 

गाबैछ नाचैछ हाथ देने डाँर पर
फगुआमे बुढबा जवान भेलै हाय राम 

कसमस करेजा उतान केने बाट-घाट 
राजीव जियरा जिआन भेलै हाय राम

२२१२ २१२१ २२२१ २१ 

(3)

मनुहार बनि करेजक अभिलासमे अहाँ छी
जे साँस चलि रहल अछि तए साँसमे अहाँ छी

अछि हाथमे जखन धरि ई हाथ टा अहाँकेँ 
हम जी रहल भरोसे लगपासमे अहाँ छी

गहगर सिनेहमे अछि मौसिम बसंत मातल  
अतिचारमे अहीँ आ मधुमासमे अहाँ छी 

कहवाक लेल लागल संसार भरिके मेला  
किछु खास जे हियामे तए खासमे अहाँ छी

राजीवकेँ गजलमे मनमीत काफिया बनि 
हर सेर सायरीमे हर भासमे अहाँ छी

२२१२ १२२ २२१२ १२२

(4)

बसंती पवन बहि रहल एक शानक 
समय फाग मासक जमल एक शानक 

लगय बाध बौनक उछाही अलग सन
पियर फूल सरिसव लदल एक शानक 
 
प्रणय गीत नेहक सुनाबैछ मौसिम
कविता मधुरगर गजल एक शानक

लजा गेल लाजे चमेली आ चम्पा
निरखि रूप यौवन कसल एक शानक

अजन्ताक मुरती सनक रूप रंगति 
अहाँ केर मोनक महल एक शानक

जेना राति पूनमके चन्ना रमनगर 
धवल चांदनीमे कमल एक शानक  

ई ठोढ़क दुपतिया गुलाबी गजबके 
युगल नैन कारी मतल एक शानक

कमालक नवाबी अहाँमे भरल अछि 
अहीँके नवाबी असल एक शानक  

विधाताक राजीव धनवाद शत-शत
रहय कारसाजी बनल एक शानक

१२२ १२२ १२२ १२२ (बहरे मुतकारिब)

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राजीव रंजन मिश्र समकालीन मैथिली साहित्यक प्रतिनिधि गजलकार छथि. दशकभरि सं लगातार मैथिली गजल विधा कें समृद्ध क' रहल छथि. हिनक लेखनी मे विषय विविधता आ भाषाक अनुप्रयोग देखबा मे अबैत अछि. मानव संवेदना, सामाजिक विडंबना आदि गंभीर विषय-वस्तु कें सेहो गजल माध्यम सं सहजता सं प्रस्तुत करब हिनक विशेषता छनि.
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