Janeu Mantra : यज्ञोपवीत मंत्र अथवा जनेउ मंत्र केर बहुत बेसी महत्व होइ छै. बिना मंत्र कें जनेउ धारण करब व्यर्थ अछि. उपनयन संस्कारक बाद जनेउ धारण करैत नेना विद्यार्जन लेल निकलैत अछि. आधुनिक समय मे शिक्षा व्यवस्था भिन्न छै मुदा मिथिला मे उपनयन ओहिना वैदिक विधि सं संपन्न होइत अछि.
दू प्रकार केर मैथिल ब्राह्मण होइ छथि, वाजसनेयी आ छन्दोग. एहि तरहें दू अलग-अलग जनेउ मंत्र अछि. एतय जनेउ धारण करबाक तथा जीर्ण जनेउ त्याग करबाक मंत्र देल गेल अछि.
वाजसनेयी यज्ञोपवीत मंत्र एहि प्रकार सं अछि:
ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
छन्दोग यज्ञोपवीत मंत्र एतय देखल जाए:
ॐ यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।
जीर्ण यज्ञोपवीत त्याग करबाक मंत्र:
ॐ एतावद्दिनपर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया।
जीर्णत्वात्तवत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथासुखम।।