कौशिकीन्तु समारभ्य गण्डकीमधिगम्यवै।
योजनानि चतुर्विंश व्यायामः परिकीर्त्तितः॥
गङ्गा प्रवाहमारभ्य यावद्धैमवतम्वनम्।
विस्तारः षोडशप्रोक्तो देशस्य कुलनन्दन॥
एकर अर्थ भेल जे पूर्व मे कोसी सं शुरू भ' पश्चिम मे गंडकी धरि 24 योजन तथा दक्षिण मे गंगा नदी सं शुरू भ' उत्तर मे हिमालय वन धरि 16 योजन मिथिला भूखण्ड केर विस्तार अछि. महाकवि चन्दा झा मिथिलाक एही चौहद्दी कें सहज बना प्रस्तुत केने छथि जे लोकक ठोर पर रहैत अछि.
गंगा बहथि जनिक दक्षिण दिशि पूब कौशिकी धारा।
पश्चिम बहथि गंडकी उत्तर हिमवत वन विस्तारा॥
(जारी)