महाशिवरात्रि पूजन केर महत्व, मंत्र आ विधि - Maha Shivratri


महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) सनातन धर्मी लोकनिक एकटा प्रमुख पावनि अछि. एकरा शिव चतुर्दशी सेहो कहल जाइत अछि. ओना शिवरात्रि प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष केर चतुर्दशी तिथि पर पड़ैत अछि मुदा महाशिवरात्रि फागुन मासक कृष्ण पक्ष केर चतुर्दशी तिथि पर पड़ैत अछि. शिवभक्त एहि वार्षिक पावनि कें बहुत उत्साह आ भक्ति संग मनाबैत छथि. फागुन मासक कृष्ण पक्ष केर चतुर्दशी कें महाशिवरात्रि पर्व मनाओल जाइत अछि.

एहि तिथि कें रुद्राभिषेक बहुत महत्वपूर्ण मानल जाइत अछि आ एहि पावनि मे रुद्राभिषेक कएला सँ सब रोग आ दोष समाप्त भ' जाइत अछि. ज्योतिषीय गणनाक अनुसार एहि समय धरि सूर्य देवता सेहो उत्तरायण आबि गेल रहैत छथि आ ऋतु परिवर्तनक एहि समय कें बहुत शुभ कहल गेल अछि.

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री : दूध, दही, शहद, घी, चंदन, शक्कर, गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, पंचामृत, गुलाब, नील कमल, पान, गुड़, दीपक, अगरबत्ती आदि.

महाशिवरात्रि पूजा विधि - Mahashivratri Puja Vidhi

महाशिवरात्रि दिन सूर्योदय सं पहिने उठू आ स्नान आदि सं निवृत्त भ' साफ वस्त्र धारण करू. एकर बाद सबसं पहिने व्रत करबाक संकल्प लिअए. शिव मंदिर जा कए भगवान शिव केर पूजन करू. कुसियारक रस, कांच दूध वा शुद्ध घी सं शिवलिंग केर अभिषेक करू. तखन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टा, फल, फूल, मधुर, पान, इत्र आदि महादेव कें चढ़ाउ. 

एकर बाद ओतहि ठाढ़ भ' शिव चालीसा केर पाठ करू आ शिव आरती गान करू. ॐ नमो भगवते रुद्राय, ॐ नमः शिवाय रुद्राय शंभवाय भवानीपतये नमो नमः आदि मंत्र केर जप करू. महाशिवरात्रि दिन रात्रि जागरण सेहो कएल जाइत छै.

महाशिवरात्रि मंत्र - Mahashivratri Puja Mantra

महाशिवरात्रि दिन शिवपुराण केर पाठ एवं ॐ नमः शिवाय केर कम सं कम 108 बेर जप करबाक चाही. भक्त शिवराति दिन भरि राति जागल रहैत छथि, पूजा करैत छथि आ शांति तथा ऊर्जा लेल वैदिक मंत्र केर जप करैत छथि. राति मे भगवान शिव कें समर्पित भक्ति गीत आ स्तोत्र सेहो गाओल जाइत अछि. महाशिवरात्रि दिन पूजा समय शिव चालीसा केर पाठ करब श्रेयस्कर होइत अछि.

एतय महाशिवरात्रि सं जुड़ल किछु महत्वपूर्ण मंत्र सब देखल जा सकैत अछि. महादेव पूजन मे एहि मंत्र सबहक पाठ अवश्य करबाक चाही.

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥

महाशिवरात्रि कथा - Mahashivratri Katha

गरुड़ पुराणक अनुसार एहि दिन एकटा निषादराज अपन कुकुरक संग शिकार करए गेलाह मुदा कोनो शिकार नहि भेटलनि. भूख-प्यास सँ थाकि ओ एकटा पोखरिक कात मे बैसलाह, जतए बेल गाछक नीचां एकटा शिवलिंग छल. अपन देह कें आराम देबाक लेल किछु बेलक पात तोड़ि आसन बनओलनि, एहि क्रम मे किछु बेलपत्र शिवलिंग पर सेहो खसि पड़ल. पएर साफ करबाक लेल पोखरिक पानि छिटलनि, जाहि मे सं किछु बूंद जल शिवलिंग पर खसि पड़ल. 

एहना करैत-करैत हुनकर एकटा बाण नीचां खसि पड़लनि, ओकरा उठाबए लेल ओ झुकलाह आ शिवलिंग कें प्रणाम करा गेलनि. एहि तरहें ओ अनजान मे शिवरात्रिक दिन शिवक पूजाक समस्त प्रक्रिया पूरा कयलनि. हुनक मृत्युक बाद जखन यमदूत लोकनि हुनका लेबए आएल छलाह तखन शिवक गण हुनक रक्षा केलनि आ हुनका लोकनि कें भगा देलकनि. एहि तरहें ओहि व्यक्ति कें शिवलोक प्राप्त भेलनि.

एहि तरहें अनजान मे कएल पूजन केर एतेक फल होइत अछि त' पूरा मोन सं शिव आराधना केने जीव केर कल्याण अवश्य होइत अछि. महाशिवरात्रि कें व्रत रखैत पूजन केने भारी पुण्य प्राप्त होइत अछि आ देवादिदेव महादेव तथा माता पार्वती केर कृपा बनल रहैत अछि.

महाशिवरात्रि पर शिव स्तोत्र :

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, 
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, 
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, 
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, 
गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, 
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, 
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, 
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, 
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, 
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, 
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, 
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, 
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, 
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, 
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, 
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, 
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।

महामृत्युंजय मंत्र - शिव आरोग्य मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

पंचाक्षर स्तोत्र :

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय 
भस्मांगरागाय महेश्वराय, 
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय 
तस्मै ‘न’ काराय नम: शिवाय

मन्दाकिनी सलिलचन्दनचर्चिताय 
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय, 
मन्दारपुष्पबहुपुष्प सुपूजिताय 
तस्मै ‘म’ काराय नम: शिवाय

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द 
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय, 
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय 
तस्मै ‘शि’ काराय नम: शिवाय

वशिष्ठकुम्भोद्भव गौतमार्य 
मुनीन्द्रदेवार्चित शेखराय, 
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय 
तस्मै ‘व’ काराय नम: शिवाय

यक्षस्वरूपाय जटाधराय 
पिनाकहस्ताय सनातनाय, 
दिव्याय देवाय दिगम्बराय 
तस्मै ‘य’ काराय नम: शिवाय

पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ, 
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते

क्षमा मंत्र :

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

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