रूपेश त्योंथ केर लघुकथा 'परदेसी'


परदेसी

- माए गे! बरद मोटेलौ कि ओहने हउ?

- ओ नै मोटाएबला हउ.

- आ गहूम जोरगर हउ ने?

- पानि पर कने जोर पकड़ने हइ....कहिया एबहक?

- अखनी छओ मास कुच्छो नै...!

फोन काटि जुगेसर सेठजीक बगइचा पटबए मे लागि गेल छल...

— रूपेश त्योंथ

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