हे वैदेहीक मानद सुपुत्र मैथिल गण...

हे जनकात्मज जगतजननी वैदेहीक मानद सुपुत्र मैथिल गण, यथार्थ कें स्वीकार करबाक सदाशयता राखू.

सत्य कठोर छै मुदा ओकर वास्तविकता कें उपेक्षा करब असंभव.

भारतीय उपमहाद्वीप मे मैथिल निःसंदेह बहुतो अन्य प्रजाति सं विज्ञ, आचरणशील, सुव्यवहारिक, सुदक्ष, कर्तव्यनिष्ठ आ मिलनसार प्राणी छथि.

एक समय मिथिला धन-धान्य सं परिपूर्ण नगरी रहल.

समयक संग प्राकृतिक आपदा, विपदा आ स्थानीय संकीर्णताक वशीभूत भ' मैथिल आ मिथिलाक गौरव क्षुण होइत गेल आ आइ परिस्थिति ई जे बिना पलायन केने मैथिलक घर मे चूल्हा पजरब कठिन. खेती-बाड़ी उपटि गेल. जीवन लेल आवश्यक न्यूनतम सुविधा सेहो मिथिला मे भेटब कठिन. 

एहन विषम परिस्थिति मे जीवनयापनक बाध्यता मैथिल कें कीर्तनिया बना देलक. जकरा सं पेट भरैक आ उपहार भेटैक सैह सर्वेसर्वा. ओकर प्रशस्ति गान मैथिल कें विशेष गुण. सच्चाइ सं आँखि हटा झूठ, कपोलकल्पित आ अविश्वसनीय काव्यात्मक अभिव्यक्ति मे मैथिल निपुण.

देशक अन्य प्रांत मे परजीवी भ' मैथिल समाज कोनहुना अपन जीवन बिता रहल छथि.

विगत किछु वर्ष सं मैथिल एक विशेष राजनीतिक दर्शनक अंधभक्त भेल छथि. हज़ारो मैथिल बटुक आईटी सेल मे नौकरी पाबि अपन क्षुद्रताक परिचय द' रहल छथि.

मैथिल आ मिथिला लेल कोनो चिंतन नै छै आ जे छै से चंदाजीवी सबहक उपक्रम मात्र. मिथिला सं दूर मिथिला राज्यक आधार बनाबए बला ई बयानवीर सब कें जमीनी सच्चाइ केर भान तक नै. खाली कोनो घटना भेने कूदब-फानब आ अबोध लोक कें उकसा क' मारिपीटि करायब हिनकर सबहक लक्ष्य.

एखन धरि मिथिलाक वास्तविक परिस्थिति पर कोनो संकलन नै छै जाहि सं पता चलै जे मिथिलाक इतिहास की छै, ऐतिहासिक संदर्भ की छै, प्राकृतिक संसाधन की छै आ उन्नति करबाक लेल आवश्यक आधारभूत संरचना कोना विकसित हेतै?

केओ कनेक मैथिल या मिथिला लेल विद्रूप कहलक नै कि ढोल-पीपही ल' सब तमाशा ठाढ़ क' देत. वास्तविकता सं लोक कें भटकेबाक प्रयास शुरू होएत.



एखन किछु दिन सं मैथिल महंत सब केजरीवाल कें एहि बयान पर लतियाबए मे लागल छथि, जाहि मे ओ दिल्लीक अस्पताल सुविधा आदि लेल बाहर सं लोक कें आबि लाभान्वित होएबाक बात केने छथि. एहि मे ओ बिहार लोकक नाम धरि लेने छथि. बिना पूरा वक्तव्य सुनने सियार जकां हुआं-हुआं करबाक प्रवृति देखि अकचकित छी.

यौ एतबे लाज अछि त' मिथिला मे स्कूल, अस्पताल, कॉलेज आ अन्य संसाधन लेल निरंतर संघर्ष करू ने! खाली लोकक पैर पकड़ि अपन काज निकालने समाज सेवा नै होइ छै.

मंदिर पर त' खूब बोली निकलैत अछि, जकरा सं आम आदमीक जीवन मे कोनो परिवर्तन संभव नै. खाली गोटेक समूह कें फ़ोकट मे ऐय्याशीक  संसाधन उपलब्ध हेतै. क'ल-कारखाना, सड़क, निकासी व्यवस्था, पर्यावरण आ अन्य जरूरी चीज़क चिंता के' करतै?

— गुमनाम फरिश्ता


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