हम मां मिथिला केर लाल छी : युवा कवि उज्ज्वल


सौभाग्य हमर कि जन्म मिलल एहि पावन मिथिला धाम मे 
विश्व प्रसिद्ध कवि कोकिल ओ विद्यापति जीक गाम मे 
पान मखान जहां केर शोभा 
शक्ति अछि मिथिला नाम मे
स्वर्ग सनक आनंद मिलैए अपन मिथिला धाम मे 
पुछु प्रवासी पाहुन सब सं अहां सबहक की हाल छी 
हम मां मिथिला केर लाल छी 

मां जानकीक जहां जन्मभूमि छनि
जहां मंडन मिश्रक कर्मभूमि छनि
जहां उगना बनि क' महादेव साक्षात उतरि क' आबि गेलनि
वएह मिथिला श्रीरामचन्द्र जीक सासुर केर नाम भेलनि
पागक शोभा माथ पर चमकै, हम लागै लाले लाल छी 
हम मां मिथिला केर लाल छी 

मिथिला कें सब नवतुरिया देखू दिल्ली बंबई गेल अछि 
मोन मे मिथिला रहितो सबकेओ किए प्रवासी भेल अछि 
मां मिथिला केर नाम कें देखू विश्व पटल पर चमकि रहल
शिक्षा केर बाग मे देखू फूल बनि क' मैथिल गमकि रहल
मां मिथिला कें विश्व पटल पर देखिते हम नेहाल छी 
हम मां मिथिला केर लाल छी 

हम एक दोसर सं जरब किए 
हम झंझट एहन करब किए
लेकिन देखू सब जरि रहल 
अपने मे मैथिल लड़ि रहल
मैथिल-मैथिल सं झगड़ि रहल, बस एतबे देखि बेहाल छी
हम मां मिथिला केर लाल छी

उज्ज्वल कुमार झा

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