लखनपति झा लिखलनि अछि 'मिथिलाक महिमा'

मिथिलाक इतिहास याद क' हम 
मैथिल कें महान बनेने छी 
पूर्वजक ज्ञान-विज्ञान सं हम 
चान पर निवासक बात केने छी 
गायत्री मंत्र ओ चारि दर्शन द'
मिथिलाक महत्ता बतेने छी 
शेष जैन ओ बौद्ध दर्शन कें 
हमहीं सब बसेने छी 
शास्त्र-पुराणक इजोत सं 
विश्व कें बाट देखेने छी 

कणाद कण आविष्कार कें 
एखनो ने जानि पेने छी 
महाशक्ति अमेरिका कें 
एकर श्रेय हम देने छी 
सीताक त्याग कें हम एखनो 
नहि मानि पेने छी 
चौदह वर्षक वनवास द'
अग्नि परीक्षा लेने छी 

जनकक महा धनुष कें 
सिया बलें तोड़बेने छी 
श्रेय एहू काज लेल हम 
श्रीराम कें द' देने छी 
एहन भक्त छी हम सब जे 
उगना कें चाकर बनेने छी 
देह अछैत जनक नृप कें 
बिनु देह विदेह बनेने छी 

मैथिल कपिल मुनि कें हम 
गंगासागर मे बसेने छी 
मैथिल चाणक्य कें एखनो
विवाद-विषय बनेने छी 
उदयनाचार्य सं जगन्नाथ कें
मंदिर कपाट बदलबेने छी 
रे जगरनथिया हम तैं तोहर पूजन 
कहि उदयनाचार्यक डेग बढेने छी

लखनपति झा 'मिथिला दर्शन'क सहयोगी संपादक छथि आ कविता लेखन-पाठन मे विशेष रुचि देखबैत छथि.


Previous Post Next Post