गुंजन श्रीक गीत

हवा रे उड़ा ने कनेक आँचर मुह त’ देख ली 
मृगनयनीक काजरसँ अपनाके बौस ली

नाम सुनितहि हमर किएक लजाय छथि ओ'
बजा ने कनेक हुनका हियामे नुका पूछि ली,

भरि जमाना  पाछाँ छन्हि हुनकर तइयो
देखि हमरा घोघ खसबथि किए जानि ली

कहीँ बिसरि नै गेल होथि ओ' सँबरनाई
चल सिनेह-नोरस’ हुनकर काजर सानि दी,

एतेक बात होइतो जाऊ नै भेटती आई ओ
‘गुंजन’ आर उपाये कोन,चालू कनी कानि ली
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