छठि परमेसरीक आराधना मे जुटल मिथिला

> एहि पार-ओहि पार आस्थाक हिलकोर

लोक आस्थाक महान पर्व छठि समूचा भारत-नेपाल मे प्रमुखता सं मनाओल जाइत अछि. ई पावनि सभ धर्मावलम्बी लेल समान महत्व रखैत अछि. दुनू पार मिथिला मे एहि पावनि कें ल' लोक मे अपार आस्था अछि. हिन्दू सहित मुस्लिम ओ सिख समुदायक लोक ई पावनि मनबैत छथि. कातिक शुक्ल पक्षक षष्ठी कें मनाओल जायवला छठि सूर्योपासना केर अनुपम विधि-विधान लेल सेहो प्रचलित अछि. पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फलप्राप्तिक लेल ई पावनि मनाओल जाइत अछि. छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव अछि. व्रतधारी लगातार 36 घंटा व्रत रखैत छथि. 

पहिल दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ केर रूप मे मनाओल जाइत अछि. दोसर दिन कातिक शुक्ल पंचमी कें छठिव्रती दिन भरि उपास क' सांझ मे अन्न ग्रहण करैत छथि, एकरा ‘खरना’ कहल जाइत अछि. तेसर दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी कें दिन मे छठि केर प्रसाद बनाओल जाइत अछि. सांझ मे जलकर पर जा सूर्य कें अरघ देल जाइत अछि. चारिम दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी कें भोरे उगैत सूर्य कें अरघ देल जाइत अछि.  अंत मे छठिव्रती कांच दूध केर शरबत पी क' आ कनेक प्रसाद खा क' व्रत पूर्ण करैत छथि. 

मिथिमीडिया डेस्क
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