राजनन्दन लाल दास केर सन्तो (नाटक), चित्रा-विचित्रा (आलेख संग्रह), प्रबोध नारायण सिंह (विनिबंध, साहित्य अकादेमी) आदि पोथी प्रकाशित छनि. कर्णगोष्ठी (Karnagoshthi) संस्था मे सक्रिय रहैत पोथी-पत्रिका प्रकाशन-सम्पादन मे हिनक अमूल्य योगदान रहल अछि. दासजी आखर पत्रिका (1967) सं सेहो प्रकाशक रूप मे जुड़ल छलाह त' ओतहि अखिल भारतीय मिथिला संघ (1962), मिथिला संग्राम समिति (1967) ओ मिथिला दर्शन (कम्पनी सेक्रेटरी) सं सेहो जुड़ल रहल छलाह. विद्यापति स्मारक मंच कोलकाता सहित अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था हिनका सम्मानित केने अछि.
86 वर्षीय राजनन्दन लाल दास पछिला किछु समय सं बीमार छलाह. हिनक देहावसान 4 जुलाइ, 2021 कें कोलकाता मे हुनक आवास पर भ' गेलनि. हिनक निधन सं मैथिली जगत मे शोक पसरल अछि. सोशल मीडिया पर संवेदना-श्रद्धांजलि व्यक्त केनिहार लोकक कोनो कमी नै देखल गेल अछि. कोलकाता सहित देशक कतेको शहर-गाम मे शोकसभा आयोजित कएल गेल अछि. कर्णगोष्ठी दिस सं हिनका श्रद्धांजलि देइत कहल गेल अछि जे हिनक योजना आ काज कें आगू बढ़ाओल जाएत आ कर्णामृत (Karnamrit) पत्रिका सेहो निर्बाध रूप सं निकालल जाइत रहत.
मिथिमीडिया दिस सं एहि महान विभूति कें सादर नमन अछि!