मैथिलीक वरेण्य साहित्यकार रामलोचन ठाकुर एहि धराधाम सं विदा भ' चुकल छथि. हुनक मृत देह नील रतन सरकार अस्पताल मे राखल छनि. 5 अप्रील कें एहि आशय केर समाद प्रशासन दिस सं हिनक परिजन कें भेटलनि. अगिला लगभग पूरा दिन कानूनी प्रक्रिया आदि काज मे लागल आ सब कागजी प्रक्रिया पश्चात पार्थिव शरीर 6 अप्रील कें परिजन कें सौंपल गेलनि. संध्या काल कलकत्ता केर प्रसिद्ध नीमतला घाट (भूतनाथ) मे हिनक अंतिम संस्कार कएल गेलनि.
ज्ञात हो जे रामलोचन ठाकुर एही 12 फरवरी कें भोरे सं निपत्ता छलाह. बीतल किछु साल सं ठाकुरजी अल्जाइमर सं ग्रसित छलाह आ इलाज चलि रहल छलनि. ओ कलकत्ता स्थित अपन निवास दमदम लग इटालगच्छा रोड इलाका सं निपत्ता भेलाह. एहि विषयक सूचना पुलिस कें देल गेल छल. ठाकुरजी कें ताकि अनबाक काज मे शहरक साहित्यिक वर्ग सं ल' कतेको कार्यकर्ता दिन-राति लागल छलाह. किन्तु कोनो तरहक सफलता हाथ नहि आएल.
पुलिस-प्रशासन दिस सं देल जनतब अनुसार रामलोचन ठाकुर कें 22 मार्च कें कोनो अनजान लोक सब मेंटल अस्पताल मे दाखिल करओने छल. हुनक अवस्था बहुत बेसी खराब छलनि. ओतय सं हुनका इमरजेंसी कें देखैत एक अन्य अस्पताल मे रेफर कएल गेलनि. 25 मार्च कें ओ अंतिम सांस लेलनि आ तकर बादे हुनक पार्थिव शरीर कें नील रतन अस्पताल शवगृह मे राखल गेल छल. मुइलाक तेरहम दिन हुनक दाह-संस्कार संभव भेल. दाह-संस्कार मे परिजन सहित कोलकाता केर लगभग दर्जनभरि मैथिली सेवी लोकनि उपस्थित रहल छलाह.
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राम लोचन ठाकुर (18 मार्च, 1949 - 25 मार्च 2021) मैथिली आन्दोलनी, मातृभाषाक सेनानी, रंगकर्मी, कवि, अनुवादक ओ संपादक रूपें विख्यात छथि. हिनक मैथिलीक प्रति प्रतिबद्धता अनुपम अछि. ई कुमारेश काश्यप, अग्रदूत आ मुर्तजा अली छद्म नामे सेहो रचना केलनि. आयकर विभागक चाकरी सं अवकाश पओने छथि. हिनक विपुल रचना संसार मे प्रमुख अछि:
काव्य: इतिहास हंता (1977), माटि-पानिक गीत (1985), देशक नाम छलै सोन चिड़ैया (1986), अपूर्वा (1996), लाख प्रश्न अनुत्तरित (2003) आदि.
हास्य-व्यंग्य: बेताल कथा (1981, कुमारेश काश्यप छद्मनाम सं).
संस्मरण: स्मृतिक धोखरल रंग (2004), आंखि मुनने : आंखि खोलने (2005). मैथिली लोक कथा (1983 ओ 2006).
पत्रिका सम्पादन (स्वतंत्र, संग आ कार्यकारी): अग्निपत्र, रंगमच, मैथिली दर्शन, सुल्फा, मिथिला दर्शन आदि.
एकर अतिरिक्त कइएकटा पुस्तकक सम्पादन एवं विपुल संख्या मे कविता संग्रह, नाटक, उपन्यास आदिक अंग्रेजी आ बांग्ला सं अनुवाद सेहो कएने छथि.
सम्मान: प्रबोध साहित्य सम्मान, भाषा भारती सम्मान, विदेह सम्मान, किरण साहित्य सम्मान, यात्री-चेतना पुरस्कार, मिथिला सांस्कृतिक परिषद (कोलकाता), मिथिला सेवा ट्रस्ट (बागुइआटी, कोलकाता) द्वारा अभिनंदन आदि.