छठम दिन माँ कात्यायनी केर पूजा

चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥

श्री दुर्गा केर षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी अछि. महर्षि कात्यायन केर तपस्या सं प्रसन्न भ' आदिशक्ति हुनका ओतय पुत्री रूप में जनम लेलनि. तें कात्यायनी कहबैत छथि. हिनक आराधना सं भक्त केर सभ काज सरल एवं सुगम भ' जाइत अछि. चन्द्रहास नामक तलवार केर प्रभाव सं हिनक हाथ चमकैत रहित अछि. श्रेष्ठ सिंह हिनक वाहन छनि.
> मिथिला भरि मे बेलनत्ती
षष्ठी कें मिथिला भरि मे बेल नओतल जाइत अछि. पूजन अनुष्ठान केर संग बेल नओतल जाइत अछि. आ फेर अगिला भोरहरबा मे बेल तोडि क' आनल जाइत अछि आ दुर्गा प्रतिमा केर सोलहो श्रृंगार कयल जाइत अछि. एकर बादे मायक पट भक्त लेल फुजैत अछि. एहि कें बादे पूजन उत्सव मे बदलि जाइत अछि.


दूर नै जाउ अपन माइसँ यौ भैया
जपु जपु जपु जय शेराबाली मैया

माए बिन कोना जीवन ककरो भेटतै
अम्बे बिन कोना जीवन ककरो कटतै
मैया भवानी छथि जगकेँ रचैया
जपु जपु जपु जय शेरावाली मैया

कहने छथि अम्बे विपतिमे हम एबै
नाम जे जपत ओकर दुख हरबै
एक दिन बाजत अहाँक घरमे बधैया
जपु जपु जपु जय शेरावाली मैया

— अमित मिश्र
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