रूपेश त्योंथ केर होली विशेष कविता 'प्रेम रंग मे रंगि जो बौआ'


मधुमिश्रित बसात बहैए
बनि मयूर मन नाचि उठैए 
पशु-पंछी सब सेहो कहैए 
घुसल किए छें खोली मे
प्रेम रंग मे रंगि जो बौआ
एहि बेरक तों होली मे

अंतर मे उफान उठैए 
चंचल चित्त परेशान करैए 
कटु वचन कें तेजि कहैए 
मिसरी घोर तों बोली मे
मोन राख जे सबजन एक्कहि 
अबैछ मजा ठिठोली मे
प्रेम रंग मे रंगि जो बौआ
एहि बेरक तों होली मे

धरती ओ आकाश कनैए 
मूक मुदा निज व्यथा कहैए 
मनु मनु केर रक्त पिबैए 
विनाश लिखल बम-गोली मे
नाम अलग सब देवक संतति 
बहुरंग मिलल रंगोली मे
प्रेम रंग मे रंगि जो बौआ
एहि बेरक तों होली मे

— रूपेश त्योंथ  

(मैथिली दैनिक 'मिथिला समाद' केर होली विशेषांक 2009 मे प्रकाशित कविता. रूपेश त्योंथ केर कविता संग्रह 'एक मिसिया' (2013) मे सेहो ई प्रकाशित भेल अछि.)
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