नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अनेरो बवाल किए?

नागरिकता संशोधन अधिनियम केर नाम सँ स्पष्ट होइत अछि, ई मात्र नियम मे संशोधन अछि. अतएव आवश्यक अछि जे पूर्वक कानून एवं ओकर पृष्ठभूमि आ ओहि मे भेल परिवर्तनक अन्तर कें परिभाषित करी. भारतक प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू आ लियाकत खानक मध्य एकटा सहमति बनल जे दुनू देश अपना मे रहनिहार धार्मिक अल्पसंख्यकक सुरक्षा सुनिश्चित करत. तथापि जँ दुनू मे सँ कोनो देशक धार्मिक अल्पसंख्यक अपन सुरक्षा, संरक्षा वा जीवन उन्नतिक लेल कोनो देश मे शरण चाहैत छथि तऽ तत्संबंधित देश हुनका नागरिकता प्रदान करत. एही पृष्ठभूमि मे नागरिक कानून-1955 बनाओल गेल.

एहि नियमक तहति वैध रूप सँ भारत मे पाकिस्तान सँ आएल नागरिकक कें 11+1 वर्ष भारत मे रहलाक बाद नागरिकता भेटैत रहल अछि. पूर्व मे नागरिकता देबाक अधिकार गृहमंत्रालयक अधीन छल, जकरा 1994 मे जिलाधिकारीक अधीन कएल गेल. पुनः 2003 मे एकरा गृह मंत्रालयक अधीन कएल गेल, मुदा 2004 मे फेर तत्कालीन राजस्थानक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केर सलाह पर तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल 2 वर्षक लेल जिलाअधिकारीक अधिकार क्षेत्र मे सन्निहित कएलनि, जे निरस्त नहि होएबाक कारण सं एखनो ओहिना अछि.

2004-2006 मध्य राजस्थान मे निवास करैत एहन शरणार्थीक दयनीय स्थिति देखैत राजस्थानक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मानवीय आधार मानैत देश मे सर्वाधिक 4000 सँ बेसी लोक कें नागरिकता प्रदान करबा मे सहयोग कऽ चुकल छथि. एकटा बात आओर ध्यान देबा योग्य अछि जे पाकिस्तान सँ आएल हिन्दू कें पाकिस्तानी पासपोर्ट नवीनीकृत करबाक एवज मे 6000 टाका प्रतिवर्ष पाकिस्तान सरकार कें देबए पड़ैत अछि. भारत सरकार सँ वीजा लेल कोनो भारतीय संबंधी अथवा परिचित सँ प्रयोजित कएल गेल होथि. पहिने परिवारक मुख्य व्यक्ति कें नागरिकता देल जाइत अछि, बाद मे फेर सँ प्रक्रिया द्वारा नागरिकता भेटैत अछि.

जें कि पाकिस्तान मे धार्मिक अल्पसंख्यक पर प्रताड़नाक क्रम जारी रहल अछि. लड़कीक अपहरण आ धर्म परिवर्तन आम अछि. कोनो गैर-मुस्लिम युवक कें सरकारी नौकरी नहि भेटि सकैत अछि. दयनीय स्थिति अछि जे मृत्युक बाद अंतिम संस्कार लेल दाह-संस्कारक बदला दफन करबाक हेतु बाध्य कएल जाइत अछि. एहन नारकीय जीवन सँ त्रस्त भऽ ओ भारतोन्मुख होइत छथि. हुनक एहि स्थितिक विरुद्ध स्वर उठएबाक कोनो सशक्त माध्यम वा संस्था पाकिस्तान मे नहि अछि. एहन कतेको लोक भारत आबि चुकल छथि.



एहि नियम मे संशोधनक माध्यम सँ सरकार पाकिस्तानक संग-संग बांग्लादेश आ अफगानिस्तानक धार्मिक प्रताड़ितक लेल प्रावधान कएलक. एहि मे शरणार्थीक रूप मे प्रवजन समय 5+1 वर्ष कऽ देल गेल अछि. अर्थात् 31 दिसम्बर 2014 सँ पूर्व जे भारत आबि चुकल छथि हुनका नागरिकता भेटत. एहि संशोधन सँ ओहन समस्त परिवार कें एक संग नागरिकता देबाक प्रावधान अछि. जिनकर पासपोर्ट आ वीजा समाप्त भेल अछि हुनको नागरिकता भेटि सकैत अछि.

आब बात जे नागरिकता भारत मे केन्द्र सरकार देत वा राज्य सरकार? तऽ नागरिकता केन्द्र सरकारक वस्तु अछि. तैं राज्य सरकार कें बेस किछु करबाक नै छै.

बात करी जे कतेक लोक कें एहि सँ तत्काल नागरिकता भेटत तऽ आंकड़ा जे आएल अछि से मात्र 31,413 व्यक्ति (असम राज्यक अलावे शेष भारत हेतु) कहैत अछि. हमरा पूर्ण विश्वास अछि एहि सँ बहुत बेसी देश मे अवैध व्यक्ति/घुसपैठी होएत. एकर कोनो टा क्लाउज ककरो नागरिकताक विरोध वा छिनबाक समर्थन नहि करैत अछि. फेर एकर विरोध किएक? जे काज स्वयं कांग्रेसी मुख्यमंत्री कऽ चुकल छथि ओहि मे समय सीमा कम केला सँ ई संविधान विरोधी केना भऽ गेल? प्रश्न केनाइ आवश्यक अछि, मुदा ओहि लेल लोक कें बुरबक बनेबाक कोन आवश्यकता?

— संतोषी कुमार

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