 जय जगदंब जगत अवलंब
जय जगदंब जगत अवलंबअविलंब करू उद्धार हमर
जुनि क्षण भरियो करियौ विलंब
करू जीवन नैया पार हमर
चहुँदिश दानव केर बास एतय
अस्तित्व हमर बचतैक केना
छी रने-वने बौआय रहल
व्याधा केर डरसँ मृगा जेना
झट आबि दनुज दल दमन करू
झट हरियौ विपदा भार हमर
जुनि क्षण भरियो करियौ विलंब
करू जीवन नैया पार हमर.....
छी माय अहाँ हम पुत्र अहिँक
पुनि कही व्यथा अनका ककरा
जे अपन छलै सब आन भेलै
संबंध भए गेल फूसि-फकरा
डगमग-डगमग अछि डोलि रहल
विश्वास, बीच मझधार हमर
जुनि क्षण भरियो करियौ विलंब
करू जीवन नैया पार हमर.....
छी जगतक जँ आधार अहीँ
किए ककरो तखन भरोस करी
अछि अखिल चराचर झूठ्ठहि जँ
पुनि कथी पाबि संतोष धरी
सुनियौ विनती, उचती-मिनती
जुनि करियौ दोष-विचार हमर
जुनि क्षण भरियो करियौ विलंब
करू जीवन नैया पार हमर.....
— चन्दन कुमार झा
