पिता श्री

एकटा नेन्ना
जन्मे स’
हेहरू भेल
आ सियान धरि
तकैत रहल
ओ सुखद स्पर्श
जे ओकरा नहिए भेटलैक
भ’ सकैत छैक जे
देबयबला देने हेतनि
मुदा कहियो अनुभव नहि भेलैक
ओ हरदम फरमानकें मानलक
आ करैत गेल
डरे ओ सब काज
जे-जे हुनक थापड़ कहलक
आ संगे कहियो-कहियो
कांच करचीक आदेश
सेहो मूक बनि मानने छल
येन-केन-प्रकारेण
समय बीतल
आ आब ओ सियान भ’ क’
विद्रोही भ’ गेलैक
करय लगलैक अपना मोने
सबटा अनसोहांत काज सब
कहियो कियो ओकरा नहि रोकलकै
ई कहि क’
जे बाऊ ई नहि करू
ई हमर इच्छा नहि अछि
हरदम मौने रहलाह
आदेश देबयबला
आइ ओ सियान भेल नेन्ना अपन
अनुत्तरित प्रश्न ल’ क’
ठाढ़ अछि अहाँक सोझा
हे पूज्य पिता
कम स’ कम
उतारा त’ द’ दिय’
ई त’ हमर अधिकार क्षेत्र मे अछिए ने...

— गुंजन श्री 
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