कोयलाक धाह

दिल्लीमे दलकै अछि दल-दल
शासनकेँ कूँजी अछि धनबल
कोयला माटिक तरे अछि दाबल
मुदा, धाह सँ जड़य अछि जनबल

नहि बहरायल कोयला गाड़ल
आगि मुदा, सौँसे अछि पसरल
धधरा तापि रहल अछि हँसिकऽ
लाज-लेहाज तियागि सेवादल

नीति-अनीति किछुओ नहि मानल
स्वार्थेवश अछि तंत्र बनाओल
से बजनिहार निर्माता पर
नेताजन-स्वर एक्कहि गाओल

आब राजा-सुरेश नहि एकल
मन्नू संग बहुतो बाँहि पूड़ल
भीतर-बाहर दुनू सँ जड़िकऽ
दल-दलमे निज देश फँसल

त्यागपत्रकेँ बात नै मानल
पुछने, वाकयुद्ध अछि ठानल
पाबि आदेश मैडम सँ देखू
मंत्रीगण जयघोष भरल

अर्थोन्नतिक माध्यम बनल छल
पाथर-कारी, तैयो सोना नाम पड़ल
शासक मूँहपर करिखा पोतल
उच्च-पदक सम्मान खसल ।

खदान-मजूरक अधिकार नै भेटल
जड़ि-जड़ि पेटक आगि मिझायल
कोना पचाओत ओ' खद्धर-तर
जाड़निए सँ जे पेट भरल

संसद-सड़क द्रोह-स्वर गुंजल
तैयो बाट कोनो नहि भेटल
जन-चेतनमे अलख जगाबए
सत्यक बाट लेखनी चलल

— संतोषी कुमार
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