कवि अशोक कुमार दत्त केर 'झिझिरकोना' मे सं 3 गोट कविता


1. अखबार

अखबार 
जे आबय सब दिन 
जे चायक चुस्की संग 
साटि लैत अछि पढ़निहारक नजरि कें 

केओ त' कहैछ ई थिक
कालक गाल मे समायल 
ओहि दिनुका वर्तमान 
जे पड़ल रहैत अछि भूत-भविष्य 

दुनूक अस्तित्व ओ महत्व लेने 
मुर्दा जकां सजाएल रहैत अछि 

भिन्न-भिन्न फरकी पर 
आ एकर चटनिहार, चटैत रहैत अछि 
उठि क', बैसि क', सूति क'
अपन आंखि सं 

आ पचा देइत अछि 
अपन मोनक माटि मे

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2. कॉलेज 

कॉलेज 
पोथी-पतराक तिजोरी 
वा सरस्वतीक आराध्य स्थल नहि 
ओ त' मात्र आब 
'हॉकी-फुटबाल'क प्लेग्राउंड 
क्रिकेटक बैट आ पिच 
बैडमिन्टनक रैकेट-कॉर्कक स्टोर हाउस थिक 

मुलाहिजा हो,
जमशेद्पुरक जुबली-पार्क 
आ चमचमौआ मौर्या क्लार्क थिक
सोझ रूपें बुझी त'
गुरु-चेलाक हुड़दंगशाला 
आ प्रेमी-प्रेमिकाक रंगशाला थिक 

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3. कैंटीन

कैंटीन
रसगुल्ला, निमकी आ 
मुंह पकौआक दोकान नहि 
ओ त' बुढ़बा लेल दम्माक सुरसुरी 
झमायल आफिसियाक लेल 
हुक्काक गुरगुरी थिक 
कॉलेजिया लेल 
बापवला छात्रवृत्तिक फुरफुरी 
आ टेल्हा सभक दीया-बाती छुरछुरी थिक

संपर्क: 09431645105
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