आर्थिक पिछड़ापन आ मिथिला राज्यक औचित्य

अतीतसँ मिथिला अप्पन भौगोलिक स्वरूप,सांस्कृतिक व चरित्रगत विशिष्टता आ' विशिष्ट सामाजिक ओ आर्थिक परंपराक लेल संपूर्ण विश्वमे श्रेष्ठता प्राप्त केने छल. मिथिलाक माटिकेँ संजीवनी भेटैत छैक गंगासँ आ हिनक अनुगामिनी बनि कोशी, कमला, गंडक आ बागमती अपन-अपन रससँ सराबोर करैत रहलीह अछि. धरि स्वतंत्रोत्तर भारतमे मिथिला बिहारमे साटल रहल आ परिणामस्वरूप अथाह जल-शक्तिक अछैतो कृषि नहि, प्रबल जनशक्तिक रहैत उद्योग नहि आ शिक्षाक मनिषी सभकेँ रहैत अशिक्षाक अन्हार पसरल अछि. पटना, दिल्लीकेँ राजनीति करयबला सत्ताक पिट्ठु भारत आ बिहार शासन व्यवस्थाक एजेण्टक रूपमे कार्य कऽ रहल छथि आ मिथिलाक लेल कोनो कार्य करबाक साहस नहि रखैत छथि. परिणामस्वरूप, भूखक आगि, अव्यवस्थाक कोढ़ि आ बेरोजगारीक महामारीसँ ग्रसित लोक अन्यत्र पलायन करब शुरू केलक आ मिथिला यातायात, कृषि, बिजली, स्वास्थ्य, संचार आदि विकासक सभ पैमानापर अंतिम पायदान पर आबि गेल. फलस्वरूप, मैथिल आइ आन-आन राज्यक कृषक, वणिज आ उद्योगपतिक चाकरीमे लागल अछि.
सतत् धन-धान्यसँ समृद्ध ई भू-भाग वर वर्तमानमे भारतमे प्रतिव्यक्ति आयमे सभसँ अंतिम पायदान ३५म स्थानपर अछि. भारतक सभसँ गरीब १०० जिलामे ८टा जिला मिथिला-क्षेत्रसँ अबैत अछि. एहि क्षेत्रक प्रतिव्यक्ति आय ७१३२ रुपैया अछि जखनकि बिहारक ८९१८ रूपैया आ' देशक २९३८२ रूपैया. मिथिलाकेँ हटा शेष बिहारक प्रतिव्यक्ति आय ९१२४ रूपैया अछि. विगत ४५ बरखमे मिथिलाक प्रतिव्यक्ति आय ६८ प्रतिशतसँ घटि ६५.२१ प्रतिशत पर आबि गेल अछि. शिक्षाक सेहो वएह स्थिती अछि आ मिथिलामे साक्षारता दर एखनहु ४२.५० प्रतिशत अछि जखन कि बिहारक ४९.५३ प्रतिशत आ देशक ६५.२०प्रतिशत. मिथिला छोड़ि शेष बिहारक शिक्षादर ५५ प्रतिशत अछि. एहि तरहेँ स्वास्थ्य, सड़क, परिवहन एवं संचार व्यवस्थामे सेहो एहने सन
स्थिति देखाइत अछि जे देशमे बिहार आ बिहारमे मिथिला सभसँ पछड़ल वा कही त' पछाड़िकऽ राखल गेल अछि.
एहिठाम करीब नओ लाख बियालिस हजार (९.४२ लाख) हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि जल-प्लावित रहैत अछि आ ओहिपर खेती नहि भऽ पबैत अछि. एहिकारणेँ करीब अड़तीस (३८) लाख लोग बेरोजगार रहैत छथि. बिजलीक नगण्यता एहि क्षेत्रकेँ उद्योग विहीन कएने अछि आ जूट, चीनी आ कागत सभ उद्योग मिथिलाक धरतीसँ बिला गेल. नदी सभपर बान्ह तऽ बान्हल गेल अछि मुदा गलत डिजाइनक चलतेँ इएह बान्ह अभिशाप बनल अछि. एहि बान्ह सभसँ मिथिलाकेँ लाभ नहि बल्कि हानि भेलैक अछि जे हरेक साल बाढ़िमे लोकक घर-दुआरि संगे फसिल भसैत छैक.
बरौनीमे विराट उद्योगक परिकल्पना तऽ बिहार सरकार द्वारा कएल गेल मुदा वर्तमानमे एतुक्का कल-कारखाना मरनासन्न भेल अछि. कोनो अभियांत्रिकी आ प्रौद्योगिकीय शिक्षाक सुव्यवस्थित अवस्थाक अभावमे एतुका प्रतिभा अन्य राज्यक सेवा आ श्रीवृद्धि मे लागल अछि. एहिठाम हाजीपुरसँ कटिहार तक आ पुर्णियासँ मोतीहारी धरि विभिन्न छोट-पैघ उद्योगक अपार संभावना अछि मुदा ताहि लेल एतुका व्यवस्था चुप अछि. धान क्षेत्र, मक
इ क्षेत्र, तंबाकू क्षेत्र, कुसियार क्षेत्र, पटसन क्षेत्र, चाय क्षेत्र आ सूर्यमूखी क्षेत्रमे बँटल मिथिलाक भूभाग प्रायः हरेक तरहक कृषि उत्पादक योग्यता संपन्न अछि. केरा, लीची, आम, अनरनेबा (पपीता), नेबो आ अनानासक उत्पादनक अपार संभावना एहिठाम खाद्य प्रसंस्करण उद्योगक संभावनाके जोगा रखने अछि धरि एहिलेल एखन तक कोनो प्रयास नहि भेल अछि. हस्तकरघा मिथिलाक संबल छल, हस्तशिल्प आ हस्तकलाकेँ एहिक्षेत्रमे सूक्ष्म उद्योगक रूपमे विकसित कएल जाए सकैत अछि धरि तकर परबाह किनको नहि अछि. जल-उत्पाद-माछ, मखान आ सिंघार एकटा बृहत उद्योगक संभावना बला क्षेत्र अछि जे वर्तमान शासनक उपेक्षाक कारणेँ पंगु बनल अछि. बिहारक प्रति व्यक्ति व्यय ३८२१ रुपैया छैक जखन कि पटनाक प्रति व्यक्ति व्यय २९३९० रुपैया छैक. एहितरहेँ मिथिला बिहार शासन व्यवस्थामे उपेक्षित क्षेत्र अछि आ आब एकर अपन व्यवस्था मात्र मिथिलाके पुनः गरिमामयी दिआ' सकैत अछि.
आउ, स्वयंपोषी अयाचीक गर्वसँ मंडित, गौतम-कणाद, याज्ञ्यवलक्यक विद्वतासँ विभूषित, कपिल-विश्वामित्र आ विदेहक तपस्यासँ तपःपूत, माए मैथिलीक एहिभूमिकेँ, भारतीय दर्शन आ आध्यात्मक एहि केन्द्रकेँ पुनः गरिमामयी स्थितीमे पहुँचाबी. आब विद्यापतिक महेशवाणीक संग किरण, मधुप आ यात्रीक गीतक गर्जना करी, संगहि लोरिक-सलहेसकेँ मोन पारैत दीनाभद्रीक सखा बंठाक डंकापर डिगडिगिया बजा मिथिला क्रांतिक आह्वान करी. मैथिली, मिथिला आ मैथिल तीनूक अस्तित्वक लेल भारतीय संघ प्रणालीमे मिथिला राज्य स्थापित करी. एहिठाम यात्रीजीक किछु पाँति अहाँ सभकेँ परसय चाहब
तृण तरु शोभित, धन-धान्य भरित,
अपरूप छटा छवि स्निग्ध हरित,
गंगा तरंग चुम्बित चरणा,
सिर शोभित हिमगिरि निर्झरणा,
हे हरित भरित, हे ललित भेष,
हे छोट छीन सन हमर देश,
हे मातृभूमि शत-शत प्रणाम
हे तिरहुत हे मिथिले ललाम। मम मातृभूमि शत-शत प्रणाम ।।

— रत्नेश्वर झा 
[maithili, mithila, maithil,  vidyapati, sahitya,  maithili news, samad,  maithili media, newspaper]
Previous Post Next Post