सम्पादन कें आत्मसात केने संघर्षरत एकटा योद्धा छलाह राम लोचन ठाकुर


विद्यापति केर सोझां सं जहिना उगना देखिते-देखिते अंतर्धान भेल छलाह तहिना ठाकुर जी हमरा सबहक सोझां सं अंतर्धान भ’ गेलाह. सकल समाज ओहि समय से अनंत पीड़ा कें अनुभव केलक जे कहियो विद्यापति उगनाक बिछोह मे अनुभूति केने छलाह. साहित्यकार हो वा सामान्य सामाजिक कार्यकर्ता कोरोना सन संकट काल मे बाट-घाट भटकैत-तकैत देखल गेलाह. मुदा ई उगना किनको हाथ नै अएलनि. तथाकथित बड़का सं बड़का लोक एहि काज मे अपना कें झोंकने रहलाह, हुनका सब कें अपन क्षमताक जे एकटा सीमा होइ छै, तकर दर्शन भेलनि, उगना नै भेटलनि. ई उगना विद्यापतिक साहित्य कें आत्मसात क’ स्वयं साहित्यकार रूप मे आएल छलाह. ई उगना साहित्याकरेटा नै छलाह! अनेक तरहक क्षमता आ प्रतिभा सं युक्त छलाह, हमर सबहक ठाकुर जी, राम लोचन ठाकुर!

एतय हम सम्पादक रूप मे राम लोचन ठाकुर (Ram Lochan Thakur) केर काज हुनक कृतित्व कें स्मरण क’ रहल छी. सम्पादक कें सोझ अर्थ ई भेल जे ओ व्यक्ति जे कोनो काज वा लक्ष्य कें अपना हाथ मे लेइत अछि, ओकरा पूर्ण करैत अछि, सम्पादित करैत अछि. राम लोचन ठाकुर केर जीवन संघर्ष केर गाथा अछि जतय ओ अपन व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक आदि जिम्मेवारी कें अपना हाथ मे लेइत रहलाह, जूझैत रहलाह, जीतैत रहलाह. अनेकानेक कठिन लक्ष्य कें पबैत रहलाह, पूर्ण करैत रहलाह. ई जीवन छै, एहि जीवनक एकटा सुपर सम्पादक छै, जकरा सं कर्मठता बलें ठाकुर जी लड़ैत रहलाह, तकरा सं अपन हिस्साक हक-हुकूक लूझैत रहलाह.

अनेक काज अनेक उद्देश्य कें राम लोचन ठाकुर नीक जकां सम्पादित केलनि. ई जिनगी छै, एकर एकटा सीमा छै, एकटा सुपर सम्पादक छै तैं बहुत किछु पूर्ण भेलनि किछु अपूर्ण रहि गेलनि. जिनगीक बाट पर ई एकटा योद्धा छलाह तैं गाम सं नव बाट नव संघर्ष लेल कलकत्ता अएलाह. छोट-छीन काज करैत शिक्षा ग्रहण केलाह आ सरकारी नौकरी धरि हासिल केलनि, दिन-दुनिया बदलि गेलनि. समाजक अवस्था पर नजरि गेलनि त’ जतय-जतय हिनका लगलनि जे हुनक जरूरति छै, ओ अपना कें ओहि मे झोंकि देलनि. एक कार्यकर्ता, एक रंगकर्मी, एक कवि, एक अनुवादक, एक व्यंग्यकार, एक साहित्यकार रूपें श्रेष्ठता कें प्राप्त केलनि. जहिना मैथिली भाषा, मिथिला समाज लेल राम लोचन ठाकुर प्राण देइत छलाह, तहिना सम्पूर्ण समाज हुनका सम्मान देइत रहलनि, द’ रहल छनि.

मोन पड़ि रहल अछि जे राम लोचन ठाकुर 2008 केर वर्षान्त मे कोनो दिन मैथिली दैनिक ‘मिथिला समाद’ कार्यालय मे सम्पादक तारा कान्त झा सं भेंट करबाक लेल आएल छलाह. ओ पहिल दिन छल जे हुनका एतेक निकट सं देखबाक सुयोग लागल छल. राम लोचन ठाकुर कें अनेक मंच आदि पर देखैत-सुनैत छलहुं, हिनक साहित्य पढ़ैत रहैत छलहुं, से हुनका एतेक निकट सं देखि हमरा बहुत बेसी हर्ष भेल छल. जें कि पढ़बा-लिखबा मे रुचि रहैत छल, चेष्टा रहैत छल, सम्पादक तारा कांत झा कोनो एहन साहित्यिक अतिथि जे कार्यालय मे अबैत छलाह हुनका सं भेंट करबैत छलाह, ओहि विषय मे किछु चर्च करैत रहैत छलाह. ओहि दिन राम लोचन ठाकुर एकटा खुशखबरि लेने आएल छलाह जे ‘मिथिला दर्शन’ शुरू होबएबला छै आ से हुनके सम्पादन मे बहार हेतै. एक दशक सं बेसी समय धरि मैथिलीक सबसं प्रतिष्ठित पत्रिका रूप मे मिथिला दर्शन केर जे सुनाम रहलै से राम लोचन ठाकुर केर अथक परिश्रम, प्रतिभा सं संभव भेलैक.
 
मिथिला दर्शन पत्रिका – साहित्य, समाजक दर्पण छल जकर पहिल पन्ना पर कविवर सीताराम झा केर प्रचलित पांति अंकित छल, पाएब निज अधिकार कतहु की बिना झगड़ने? अछि सलाइ मे आगि बरत की बिना रगड़ने? – एहि पांति मे हमरा सब कें अपन सबहक राम लोचन ठाकुर केर मूल भाव, मूल स्वर भेटैत अछि. मिथिला दर्शन मे समय-समय पर किछु ने किछु प्रयोग होइत रहलै. सामाजिक, पारिवारिक, साहित्यिक आदि स्वरूप मे सामंजस्य रखैत अनेक स्थायी स्तम्भ, धारावाहिक कथा-उपन्यास सबहक बाद खूब कम जगह बचैत छलै. ताहि पर बड़का सम्पादकीय टीम आदि कें सम्हारैत कार्यकारी सम्पादक राम लोचन ठाकुर कें किछु विशेष करबाक बेसी अवसर नै छलनि तथापि समय-समय पर हुनक सम्पादकीय कौशल, हुनक दृष्टि, हुनक लेखन केर जोरदार उपस्थिति मिथिला दर्शन पत्रिका माध्यम सं देखबा मे अबैत रहल.

साहित्य आ पत्रकारिता केर जाहि ओज लेल राम लोचन ठाकुर केर पहिचान छनि तकरे प्रतिफल अछि जे कतिपय महत्वपूर्ण विषय पर मिथिला दर्शन केर कवर स्टोरी, विषय विशेष आलेख आदि निकलैत रहल. रामलोचन ठाकुर केर लिखल सम्पादकीय सब सेहो हमरा सब लेल मार्गदर्शक अछि. मिथिला दर्शन मैथिली पत्रकारिता क्षेत्र मे एकटा महत्वपूर्ण हस्तक्षेप रखैत अछि आ से कार्यकारी सम्पादक राम लोचन ठाकुर बिचला खाम्ह जकां एहि पत्रिका कें सम्पादित करैत रहलाह. हम सब देखलियै जे कोना हुनका बेमार-लाचार होइतहि पत्रिका शिथिल भेल, फेर बन्न भ’ गेल.

पत्रकारिता एकटा हिस्सक होइ छै, एक बेर एकर हिस्सक लागल त’ बेर-बेर अहां कें ई क्षेत्र आकर्षित करैत रहैत अछि. सम्पादन सिद्धांत पर चलएबला अभीष्ट प्राप्त करबाक एकटा एहन कला होइ छै जे अहां कें सामर्थ्य भरि काज करबाक, काजक केन्द्र मे रहबाक अवसर देइत अछि. राम लोचन ठाकुर केर जीवन हुनक कृतित्व कें देखबै त’ अहां कें एहि सं जुड़ल क्रियाकलाप बहुतायत देखबा मे आएत. राम लोचन ठाकुर मूल रूप सं एकटा कार्यकर्त्ता एकटा एक्टिविस्ट छलाह जे हुनका एकटा सफल सम्पादक बनबैत छल. हुनका प्रयोग करबाक एकटा कछमच्छी लागल रहलनि आ पत्रकारिता मे ठाकुर जी कें हुनक प्रयोग सब लेल सेहो स्मरण कएल जाइत रहत.

राम लोचन ठाकुर मैथिली केर काज करैत पहिने रंगमंच पर इजोत पसारलनि. जखन ओ रंगमंच माध्यम सं अलख जगा रहल छलाह तखनो पत्रिका कें माध्यम बनओलनि. साल 1973 मे मैथिली रंगमंच केर मुखपत्र रंगमंच नामक पत्रिका हुनक सम्पादन मे निकलल छल. मैथिली नाट्य साहित्य केर विवेचन-विश्लेषण करैत ओकरा समृद्ध करबाक आकांक्षा सं प्रकाशित ई पत्रिका एकटा महत्वपूर्ण डेग छल. ई पत्रिका मात्र एकहि अंक आबि सकल. ओम्हर नवलेखन कें प्रोत्साहित करबाक लेल वीरेन्द्र मल्लिक केर सम्पादन मे साल 1973 मे पत्रिका अग्निपत्र शुरू भेल, बाद मे साल 1976 मे तकर सम्पादन केर जिम्मा सेहो राम लोचन ठाकुर कें लेबए पड़लनि. ई लोकनि अग्निजीवी साहित्यकार लोकनिक नबका वर्ग कें दिशा देखेबाक काज केलनि. नामे अनुरूप अग्निधारा विकसित भेल आ लेखन मे एकटा उर्जा आ नवीनता सम्पन्न लेखक लोकनिक हेंज तैयार भेल. मैथिली साहित्य लेल ई एकटा बेस महत्वपूर्ण घटना रहल. एही बीच हस्तलिखित पत्रिका ‘सुल्फा’ बहराएल जकर सम्पादक राम लोचन ठाकुर आ कुणाल छलाह. हस्तलिखित पत्रिका ‘सुल्फा’ एकटा अजगुत प्रयोग रूप मे प्रकाशित होइत छल. साल 1975 मे सम्पादक राम लोचन ठाकुर कुणाल आ अग्निपुष्प संग मिलि ई पत्र लिखैत छलाह. एहि पत्र कें प्रत्येक रविदिन कें निकालल जाइत छल. ओ सब एहन समय छल जखन सम्पादक राम लोचन ठाकुर अनेक अभिनव प्रयोग सब केलनि आ सक्रियता बनओने रहलाह.

देसकोस (सम्पादक विनोद कुमार झा, 1981), देसिल बयना (सम्पादक जनार्दन झा, 1981) सन पत्रिकाक स्वरूप निर्धारण, ओकर संचालन मे राम लोचन ठाकुर केर योगदान अविस्मरनीय अछि. एहि दुनू पत्रिकाक प्रकाशन-सम्पादन मे ठाकुर जी नेपथ्य सं महत्वपूर्ण योगदान देइत रहलाह. ई पत्रिका सब आगामी समय मे मैथिली पत्रकारिता कें दिशा देबए मे भूमिका निमाहलक. कलकत्ता राम लोचन ठाकुर केर कर्मस्थली रहलनि आ ओहि सब समय मे कलकत्ता आन्दोलनक भूमि छल, क्रियाकलापक भूमि छल. एक सं एक सामाजिक कार्यक्रम, कार्यकर्ता, भाषा-साहित्य सं जुड़ल आन्दोलन, रंगकर्म आदि सहित सम्पूर्ण रूप सं ई धरती उर्वर आ जागृत छल. राम लोचन ठाकुर धरातल पर सेहो बेस एक्टिव छलाह आ पत्रकारिता केर शक्ति सं सेहो परिचित छलाह. एक्टिविस्ट रूप मे जखन कखनो हुनका लगलनि जे आब बेसी शक्ति समेटि क’ जोरदार रूप सं सोझां अएबाक चाही त’ पत्रकारिता कें अपन हथियार अपन मशाल बनओलनि.

अखिल भारतीय मिथिला संघ केर पत्रिका ‘मैथिली दर्शन’ जखन जनवरी 2005 मे पुनः प्रकाशित होएब शुरू भेलै त’ राम लोचन ठाकुर तकर सम्पादक बनाओल गेलाह. ई पत्रिका मार्च 2006 धरि प्रकाशित भेल. एकर बाद मिथिला दर्शन केर प्रकाशन पुनः मइ-जून 2009 मे शुरू भेलै त’ कार्यकारी सम्पादक रूपें अपन सेवा देलनि. राम लोचन ठाकुर मिथिला दर्शन केर सम्पादन जनवरी-फरवरी 2020 धरि केलनि. बेमारी सं ग्रसित भेला पर अक्षमतावश ओ सम्पादन छोड़लाह. एहन समाद जखन हमरा सब कें भेटल त’ मिथिलेश कुमार झा संग 'राम लोचन ठाकुर' केर दमदम आवास पर 2 फरवरी 2020 कें भेंट क’ गपशप कएल. मिथिलेश कुमार झा लिखित ई गपशप मिथिमीडिया पर पढ़ल जा सकैत अछि.


एहि प्रकारें हम सब देखैत छी जे राम लोचन ठाकुर रंगमंच, अग्निपत्र, सुल्फा, मैथिली दर्शन, मिथिला दर्शन आदि पत्रिका कें सम्पादित कएलनि. ओतहि देसकोस आ देसिल बयना पत्रिका केर सम्पादन मे महत्वपूर्ण भूमिका निमाहलनि. एकर अतिरिक्त राम लोचन ठाकुर कतिपय महत्वपूर्ण ग्रंथ सबहक सम्पादन सेहो केलनि जाहि मे मैथिली लोककथा, आजुक कविता, कविपति विद्यापति मतिमान, युगप्रवर्तक कवीश्वर चन्दा झा, जयकान्त मिश्र समज्ञा आदि महत्वपूर्ण अछि.

राम लोचन ठाकुर मैथिली आन्दोलनी, मातृभाषाक सेनानी, रंगकर्मी, कवि, अनुवादक ओ संपादक रूपें विख्यात छथि. हिनक मैथिलीक प्रति प्रतिबद्धता अनुपम रहलनि. ठाकुर जी पत्र-पत्रिका सहित कतेको मैथिली ग्रंथक सम्पादन सेहो केने छथि. सम्पादक सहित अपन समस्त स्वरूप मे राम लोचन ठाकुर अनंत काल धरि हमरा सब कें बाट देखबैत रहताह. हम हिनका सादर नमन करैत छी!

— रूपेश त्योंथ

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प्रस्तुत आलेख मिथिला विकास परिषद द्वारा कोलकाता मे आयोजित 'राम लोचन ठाकुर : व्यक्तित्व ओ कृतित्व' कार्यक्रम मे पढ़ल गेल छल. मधुबनी सं प्रकाशित पत्रिका अरुणिमा मे ई आलेख प्रकाशित भेल अछि. 
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