माए मैथिली छथि आह्वान करैत !

बिख घोंटि-घोंटि छथि पीबि रहल
मैथिली छथि हिचकैत जीबि रहल
आकुल भऽ आइ विवशतावश
देखू माए नै विषपान करथि
माए मैथिली छथि आह्वान करैत !!

नै कम छी एकहु गोट किओ
सभ पैघे छी नै छोट किओ
बेरा - बेरी सभ राज करू
मस्तक पर कीर्तिक ताज धरू
अपनहिमे रहू जुनि ओझरायल

ई मिथ्या मतदान करैत !
माए मैथिली छथि आह्वान करैत !!

माए कानथि सुत निश्चिंत पड़ल 
सुधि-बुधि बिसरल अचिंत पड़ल
चलू पोछब माएक नोर कियो
चलू लायब सुख केर भोर कियो
नहि देखि दुर्दशा जननी केर
चलू छाती अपन उतान करैत !
माए मैथिली छथि आह्वान करैत !!

कते कष्ट सहि माय जनम देलक
बाजू की ममता कम देलक ?
निर्ल्लज बनू नै, कने लाज करू
जुनि स्वयं पर एतबा नाज करू
जुनि करू एना अभिमान अहाँ
अपनहि-अप्पन गुणगान करैत !
माए मैथिली छथि आह्वान करैत !!

छी मैथिल एहि पर शान करू
अहाँ मैथिलीक सम्मान करू
सभ मिलि मैथिलीक प्रचार करू
मिथिलाक कीर्ति विस्तार करू
सुखद नूतन इतिहास बनत
चलु डेग मिला सहगान करैत !
माए मैथिली छथि आह्वान करैत !!

— पंकज चौधरी 'नवलश्री'
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