भाइ आ बहिन
एक्के आमक दू कतराएक्के गाछक दू ठाढ़ि
एकहि माएक रक्त आ मज्जा सँ
बनलनि जिनकर शरीर
एक्के माएबापक डीएनए सँ
बनलनि जिनकर मन प्राण
एक्के माटि मे लोटेला जे सब
एक्के बसातक सिहकी लगलनि जिनका सबकें
एक्के बरखाक बुन्न जुड़ौलकनि जिनका
खेलेला एक्के संग कनिया-पुतरा
खेलनि एक्के संग आमक झक्का
देखलनि एक्के संग खड़होरिक पार
सीटी बजबैत ट्रेन कें
हेलला एक्के संग सेमार लागल पोखरि मे
कटलनि जाड़क राति एकेटा फटलाहा सीरक मे जे
भिजलाह चुबैत चार बला एक्के घर मे जे
भोगलनि एक्के संग
कएकटा उत्सव आनंद
कएकटा अभाव अभियोग
लागनि जे एकगोट कें कुसोक कलेप
चँछा जानि दोसरक भरि मन भरि प्राण
भरि नेनपन मे
एकटा समय एलै
बसलीह बहिन सासुर
देसनिकाला
बेदख़ली
गेली एहन ठाम लागि जाइत छलनि देसाँस जत'
लगै छलनि बसात
लगै छलनि बरखा
अनभुआड़ अनचिन्हार
रहै छलीह सासुक कएद मे
ननदिक नजरि मे
सुपुतहु बनबाक चेष्टा मे अपस्याँत
आर पानि बहलै कमलाजी बाटे
आर कएकटा दाही
आर कएक टा रौदी
बितलै
बितलाह ओ सब
आब मन मे त' रहिते छलखिन
मुदा जत' रहैत छला भाइ
ओतेक दूर त' समादो ल' जेबा मे
कौओ सब होइत छल नचार
बिसरि जाइत रस्ता
टकराइत अनगिन मोबाइल टावर सँ
नहि ल' जा पबै छलनि
समाद भाइक एबाक
नहि कुचरै छल कौआ आब
जएब कहाँ पार लगैत छलनि आब?
मालिकक चाकर छलाह भाइ
हजारन कोस दूर कोनो ठाम
लागल कोनो गुनधुन मे
पोसैत अपन पेट
जएब कहाँ पार लगैत छलनि आब?
फ़ोन पर लगलनि
पूसक कनकनीक हल्लुके सन आभास
बजलखिन जखन बहिन हल्लो
की भेल?
गुम
मात्र बाझल हिचुकी
एक क्षणक लेल मात्र
किछुओ त' नहि
बकौर लागि जाइत छनि भाइकेँ
दहो बहो नोर
देखि लैत छनि संगक लोक
आ फेरि लैत अछि मुँह
दोसर दिस
लाजे
बचेबा लेल हुनका एहि
असहज स्थिति सँ
नीके ना रहब
जुग जुग जीबह
चिन्ता नहि करब
बौंसै छथि ओ सब
एक्के आमक दू फाँक
एक्के गाछक दू ठाढ़ि
एक दोसरा कें
बीतल
आर एकटा
भरदुतिया
बितलाह ओ सब
अपस्याँत अपन अपन
संसार मे
असमर्थ करक लेल किछु
एक दोसराक लेल
नुकौने प्रेम, निछच्छ प्रेम
एक दोसरा लेल
बितलाह ओ सब
(मैथिली पत्रिका 'अंतिका' सं साभार)
