दीयाबाती केर ठीक बादक एकादशी कें भगवान निन्न सं उठैत छथि. एकरा देवोत्थान एकादशी अथवा देवउठान एकादशी वा 'प्रबोधिनी एकादशी' कहल जाइत अछि. कहल जाइत अछि जे एहि दिन भगवान विष्णु, जे क्षीरसागर मे सुतल रहैत छथि, चारि मास उपरांत जगइ छथि. भगवान केर शयन कालक चारि मास मे विवाहादि मांगलिक कार्य निषेध अछि. आजुक बाद मांगलिक काज शुरू होयत.
मिथिला मे आइ लोक उपास करैत अछि आ सांझ मे फलाहार करैत अछि. साझू पहर भगवानक पूजा कयल जाइत अछि. भोर मे ब्राह्मण भोजन कराओल जाइत अछि. एहन कहल जाइत अछि जे दीयाबाती कें भगवती बहरायल रहैत छथि आ आजुक दिन घर अबैत छथि. देवोत्थान एकादशी कें मिथिला मे भगवती घर सं आँगन धरि अरिपन पाड़ल जाइत अछि. आजुक दिन भगवती घर अबैत छथि.
देवोत्थानक अरिपन मे विशेष बात ई रहैत अछि जे वित्त-बर्तन, जन-बोनिहार, खर-खबास केर चित्रण अरिपन केर माध्यमे कयल गेल रहैत अछि.
मिथिला मे आइ लोक उपास करैत अछि आ सांझ मे फलाहार करैत अछि. साझू पहर भगवानक पूजा कयल जाइत अछि. भोर मे ब्राह्मण भोजन कराओल जाइत अछि. एहन कहल जाइत अछि जे दीयाबाती कें भगवती बहरायल रहैत छथि आ आजुक दिन घर अबैत छथि. देवोत्थान एकादशी कें मिथिला मे भगवती घर सं आँगन धरि अरिपन पाड़ल जाइत अछि. आजुक दिन भगवती घर अबैत छथि.
देवोत्थानक अरिपन मे विशेष बात ई रहैत अछि जे वित्त-बर्तन, जन-बोनिहार, खर-खबास केर चित्रण अरिपन केर माध्यमे कयल गेल रहैत अछि.
— मिथिमीडिया डेस्क