गुंजन श्री केर गजल

पूर्णमासी केर चान छल
वएह छल कि आन छल

पूरल सब सख -सेहंता
तेहने नैना कमान छल

बिसरै छी अपनो के हम
देल जे ककरो दान छल

राति पघिल आँखि द' खसल
जे की हमर गुमान छल

'गुंजन' ताके पाँछा जिनगी
केहन अप्पन शान छल
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