अपने किछु अपना विषय में कही?
हम "मिथिला मिहिर" सँ अपन कैरियर शुरू केलहुं. तकरा बाद आर्यावर्त मे फीचर सम्पादक रहलहुं. वर्तमान मे "समय-साल" पत्रिका, जे पछिला बारह-तेरह बरख सँ निकलि रहल अछि,तकर संपादक छी.
अपने शेखर प्रकाशन सँ सेहो जुड़ल छी, एहि संबंध मे किछु जानकारी दिअ'?
"शेखर प्रकाशन" १९९१ सँ मात्र मैथिली लेल शुरू भेल. वर्तमान मे "शेखर-प्रकाशन", जाहि ठाम अहाँ बैसल छी, से मैथिलीए काज लेल अछि. जतय धरि मैथिलीक क्षेत्र भेल मिथिला बुझियौ, बिहार बुझियौ, भारत बुझियौ, विदेश बुझियौ, शेखर प्रकाशन ततय तक जानल जाएत अछि आ एतय मैथिली मे जतए कतउ कोनो काज होएत छै तै मे एकर लागि जरूर छै.
एखन ई प्रकाशन कोनो नव काज कऽ रहल अछि ?
एखन मिथिला मे विद्यार्थी लेल काज क' रहल छी. बहुत अभिलाषा लोक केर रहय जे मैथिली पढ़िक' विद्यार्थी कलक्टर आ एस.पी. बनय, से मौको भेटलै आ ई मौका जखन भेटलै त' एकर तैयारी मैथिल समाज नै केलकै. आइके डेट में अहाँ कें जानि क' ख़ुशी होयत जे शेखर प्रकाशन बहुत आगू बढ़लै आ दस टा सँ ऊपर पोथी, जे ओहि विद्यार्थी सभ कें सहायक हो, तकर प्रकाशन कए मार्गदर्शन क' रहल छै.
ई पोथी सभ सौंसे भारत मे पसरल विद्यार्थी सभ कें कोना क' उपलब्ध करायल जाएत छै?
जे आबि जाएत छथि से आबि जाएत छथि आ जे नै आबि पबैत छथि हुनका कूरियर सँ उपलब्ध भ' जाएत छैक.
ई सामग्री सभ कोना उपलब्ध कराबै छियै अपने?
जे हमर प्रकाशन के अछि से त' स्वयं करा दैत छी आ मानि लिय जे अहाँक प्रकाशन के ऐ त' अहाँ सँ संपर्क क' उपलब्ध करबैत छी. जेना ई पोथी देखू...ई पोथी पहिल चैप्टर छै यू.पी.एस.सी. केर सिलेबस मे. ई पोथी उपलब्ध नै छलैए. एकरा आइ सुपौल सँ मंगबओलहुं. १९७१ मे छपल छै ई पोथी से अहाँ २०१२ मे हमरा हाथ मे देख रहल छी. एकरा उपलब्ध करय मे कते कठिनता भेल होयत से सोचू. एकरा हम काल्हिये ऊपर कयलहुँ आ काल्हि सँ हम कोशिश करब जे सभ विद्यार्थी कें ई पोथी भेटि जाय. हमर यैह सभ काज अछि जे, जे चीज सभ नै भेटि रहल छै विद्यार्थी सभ कें उपलब्ध करायब.
एहि ठाम कोन-कोन तरहक पोथी उपलब्ध अछि?
विद्यार्थी लेल त' कहबे केलहुं तकर अलावा मिथिला सँ जे सम्बन्ध रखै छै, रीसर्च बुक सभ, से प्रायः सभटा अहाँ कें भेटि जायत. मैथिलीक जतेक लेखक छथि तिनका पर जे किताब सभ निकलल छनि, ओहो रीसर्चे बुक मे अबैत छै, ओहो भेटि जायत. संगे-संग मिथिला केर जे संस्कृति छै, कला छै ओहि सभ पर पोथी सेहो भेटि जाएत. पुरान पत्र-पत्रिका सभ भेटि जाएत. कहक मतलब जे मैथिलि और मिथिला सँ सम्बंधित जे कोनो काज कियो प्रारंभ करय छथि तिनका सहयोग लेल ई संस्थान हरदम तैयार रहैए.
अपनेक अहि संस्थाक आमदक की स्रोत अछि?
शेखर प्रकाशन केर एकटा प्रिंटिंग प्रेस सेहो छै. ई जे अहाँ देखि रहल छी पुस्तक समूह आ एतेक व्यवस्था से ओकरे आमदनी सँ चलि रहल अछि. नै त' पुस्तक बिक्री सँ ई संभव नै छै जे पटना स्टेशन पर हम पोथीक दोकान चला सकी.| भाड़ो नै ऊपर होय छै मुदा तैयो हम जिद रखने छी जे जाबे हम जीयब ताबे ई काज करब. जँ कियो पोथी ताकय आयत त' ओकरा ई नै कही जे पोथी नै भेटै छै. ई लांछन जे हमरा सभ पर ऐ जे पोथी नै भेटय छै त' ऐ बाजार मे हम तंइ बैसल छी जे ओ लांछन सँ कम-सँ -कम दूर रही हम सभ.
आजुक युवा पीढ़ी के मैथिलीक प्रति केहन रुझान छन्हि?
देखियौ, युवा पीढ़ी मे वैह टा मैथिली पोथी लेल अबैत छथि जे प्रतियोगिता परीक्षा, जेना संघ लोक सेवा आयोग, बिहार लोक सेवा आयोग, मे बैसै छथि या जे बी.ए., एम.ए. क' रहल छथि से. एकर अतिरिक्त जे मैथिलीभाषी युवा छथि तिनका मैथिली सँ कोनो लेना-देना नै छनि. हम त' एतेक कहब जे हमरा जनैत आइ पटना केर आबादी २५ लाख केर करीब हेतै आ ताहि मे आधा त' जरुर मैथिलीभाषी छथि, मुदा जँ मैथिली प्रति हुनकर रुझान देखब त' ततेक अल्प भेटत जे आहाँके निराशा हएत जे ओ सभ मैथिल छथि. हम सभ त' एते बूझै छियै- वियाहे-दान के अवसर पर ओ मैथिल बनय छथि. एकर अलावा ओ सभ मैथिल नै छथि. मात्र जँ वियाह-दान नै होइन्ह त' ओ मैथिलक रूप मे नै कतौ अभरता त' फेर पोथी दिस कियै एता?
मुदा जालवृत एवं सोशल-नेटवर्किंग साइट सभ पर देखला सँ त' नीक रुझान बुझाइत अछि त' की ओ व्यवहारिक रूप मे नै छै?
से जे आहाँके सर्वे करेबाक हुए त' अहाँ फेसबुके पर करबा लिय जे यदि हम पोथी आ मटेरिअल उपलब्ध कराबी त' कतेक आदमी एहन छथि जे मैथिली पढ़' चाहैत छथि? तहन आहाँके बुझा जाएत जे कतेक रुझान छनि. ओना नै बुझायत.| अहाँके संग मे जं सए आदमी छथि त' अहाँके बुझाएत जे हमरा लग मे सए आदमी छथि. मुदा देखियौ जे दिल्ली, जतय अहाँ रहय छी, तत' कतेक आदमी अछि. एक-एक मोहल्ला मे पाँच-पाँच हजार मैथिल छथि आ आहाँके आश्चर्य लागत जे ४०० काँपी हमर पत्रिकाक दिल्ली मे बिकायत अछि मुदा सामान्य लोक नै लइए. वैह विद्यार्थी कीनैए जे यू.पी.एस.सी. केर परीक्षा द' रहल अछि आओर कोनो आदमी बहुत कम. जेना अहाँ लेखक छी त' अहाँ ल' लेलहुं जे पत्रिका मे की निकललैयै से देख लियै. त' लेखक-पाठक केर सम्बन्ध जे छै से लेखक-लेखक तक रहि गेलैए. पाठक नै बनि पओलए आ से पोथीए टा मे नै पत्रिको मे छै.
की मैथिली कें प्राथमिक शिक्षा आओर माध्यमिक शिक्षा स्तर पर शुरू करब आवश्यक नै?
निश्चित हेबाक चाही. तखने टा मैथिलीक उत्थान हएत. प्राथमिक स्तर पर लोक मैथिली नै पढने रहैत छथि आ बाद मे पढ़ि जिनका जेना बुझाएत छनि तेना लिखै छथि त' हमरा सभ कें कष्ट होइत अछि. हर ३ कोस पर बोली मे अंतर अबैत छै त' जेना मोन हुए तेना बाजू मुदा लिखित रूप मे एकरूपता हेबाक चाही. जड़ि सँ जूड़ल नै रहबाक कारणें एकरूपता नै आबि पबैत छै तंइ ई जरूरी छै जे प्राथमिक स्तर पर पढ़ाइ शुरू हो.
आइ-काल्हि इहो सुनबा मे अबैत अछि जे मैथिली कें मैथिलक विद्वाने सँ क्षति भ' रहल छै ?
बहुत गोटे छथि. मुदा मैथिल समाज मे लेखक आ साहित्याकारे टा नै छथि. सभ छथि मुदा' ई आरोप खाली साहित्यकारे टा तक सीमित छै. मुदा मैथिल भाषी जे पदाधिकारी छथि, नेता छथि तिनको त' ओतबे दायित्व छनि जतेक लेखक केर छै, शिक्षक केर छै. जँ ओ सभ संग दितथि त' आइ प्राथमिक शिक्षा मे नै होएतै मैथिली ?
माने अहाँक कहब अछि जे मैथिलीक उत्थान में राजनीतिक आ प्रशासनिक पहल बेसीआवश्यक अछि?
एकदम. जाबे धरि कोनो भाषा कें राजाश्रय नै प्राप्त होइ छै ताबे तक ओकर उत्थान नै होए छै. अहाँ नेपाल मे देखियौ मैथिली दोसर भाषा छै. ओकर महत्व छै. ओतए मैथिली के जे हेड होए छै तकरा राजा सँ या प्रधानमन्त्री सँ डाएरेक्ट भेंट होए छै. ओकरा एतेक अवसर देल जाए छै. मुदा अहाँ ओतय से नै अए. कोनो कोन्टा मे राखल अछि मैथिली. एक-सँ-एक मैथिल भेलाह जे चाहितथि त' मैथिली के बहुत आगू बढ़ा सकै छलथि मुदा कहाँ भेल?
जखन अहाँक भूमि पर मैथिली प्राथमिक शिक्षा मे नै पढ़ाई होएयै त' अहाँ की उम्मीद करय छी जे दिल्ली, बम्बई, कलकत्ता मे होयत?
लेकिन अहाँके सुनि क' आश्चर्य हैत जे दड़िभंगा, मधुबनी मे उड़िया आ बंगला के प्राथमिकता देल गेलैये आ ओकरा पढाओल जेबाक लेल अलग सँ शिक्षक बहाल कएल गेल अछि. अहाँ सोचि लियौ जे हम सभ राजनीतिक रूपसँ प्रशासनिक रूपसँ कतेक अक्षम छी जे अहाँक मात्रभूमि पर उड़िया आ बंगला पढ़ाइ हैत लेकिन अहाँके मैथिली पढाइ नै होएयै. तै लेल ने कोनो प्रशासनिक व्यवस्था आ ने राजनीतिक व्यवस्था. आ हम सभ त' सुतले छी. हम सभ कहियो हल्ला-गुल्ला नै करय छी.
एकर की निदान?
एकर निदान ई जे गोल-गोल बनाएल जाय. जिला-स्तर पर प्रदर्शन. आन्दोलन होअय, मांग कएल जाय जे ई अधिकार छै. संविधान अधिकार देने छै जे हमर प्राथमिक स्तर के शिक्षा हमर मातृभाषा मे होअय. संविधान के मौलिक अधिकार मे अछि ई, नीति-निर्देशक तत्व मे सेहो छै. आश्चर्य हएत अहाँके जे मैथिली में विश्वविद्यालय स्तर पर पोथी छपय तए लेल एक दिस केंद्र सरकार एक करोड़ रुपैया केर आवंटन केलक. जै मे विभिन्न विषयक जेना फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलोजी... केर आन भाषाक पोथीक मैथिली मे अनुवाद करेबाक योजना अछि. ई योजना भारत सरकार के छै लेकिन दोसर दिस देख लिय जे मैथिली प्राथमिको स्तर पर पढाइ नै होएयै... ई विरोधाभास नै बुझाइयै?
-त' की राज्य सरकार दोषी?
राज्य सरकार दोषी, हम-अहाँ दोषी. एखुनका युग छै जे छीन लिय. मंगबै तखने भेटत. चुप रहब कतउ नै भेटत. हम सभ ने मांग करय छियै आ ने सरकार सोचैये. जँ मांग करय छियै त' मंच पर करय छियै आ निच्चा उतरैत बिसरि जायत छियै.
बिहार मे मैथिली भाषाक प्रयोगक आधार पर कोन क्रम मे राखब?
जँ अहाँ जनसँख्या के दृष्टिकोणसँ देखबै, बजनिहारक दृष्टिकोणसँ देखबै त' हिंदी के बाद त' मैथिलिए अछि. लेकिन दोसर भाषा कहियो नै बनि सकल. दोसर भाषा उर्दू अछि. आ से बनबय वला अहाँके मैथिलभाषी डा. जगर्नाथ मिश्र छथि. आ अहाँके ईहो आश्चर्य लागत जे काँलेज में बी.पी.एस.सी. मे केदार पाण्डेय मैथिली लागू केने छथि.... ने कर्पूरी ठाकुर, ने जगर्नाथ मिश्र ने बी.पी.मंडल. जतेक अप्पन मैथिल भाषी भेल छथि से सभ कियो नै. आ संविधानो मे वाजपेयी जी स्थान दियौलन्हि. अहाँ देखियौ जे आन ठामसँ अहाँके भेट जाएयै लेकिन अहाँ अपने ओते तत्पर नै छी. आ जाबे तत्पर नै हैब ताबे नै भेटत.
अए सम्बन्ध में अपनेक आचरण अनुकरणीय अछि?
देखियौ सभ ठाम आदमी छै जे चाहय छै काज कर' फेर हमरो सन-सन बहुत गोटा छथि लेकिन हिम्मत टूइट जाएत छै जे एतेक केलहुं ककरा लए केलहुं. आइ अहाँ पाछू घूमि क' देखियौ त' बहुतो गोटा के सक्रियता छनि. आ ओही बल पर हमहूँ बैसल छियै, ई नै जे हमरे बले एतेक.
देखियौ, युवा पीढ़ी मे वैह टा मैथिली पोथी लेल अबैत छथि जे प्रतियोगिता परीक्षा, जेना संघ लोक सेवा आयोग, बिहार लोक सेवा आयोग, मे बैसै छथि या जे बी.ए., एम.ए. क' रहल छथि से. एकर अतिरिक्त जे मैथिलीभाषी युवा छथि तिनका मैथिली सँ कोनो लेना-देना नै छनि. हम त' एतेक कहब जे हमरा जनैत आइ पटना केर आबादी २५ लाख केर करीब हेतै आ ताहि मे आधा त' जरुर मैथिलीभाषी छथि, मुदा जँ मैथिली प्रति हुनकर रुझान देखब त' ततेक अल्प भेटत जे आहाँके निराशा हएत जे ओ सभ मैथिल छथि. हम सभ त' एते बूझै छियै- वियाहे-दान के अवसर पर ओ मैथिल बनय छथि. एकर अलावा ओ सभ मैथिल नै छथि. मात्र जँ वियाह-दान नै होइन्ह त' ओ मैथिलक रूप मे नै कतौ अभरता त' फेर पोथी दिस कियै एता?
मुदा जालवृत एवं सोशल-नेटवर्किंग साइट सभ पर देखला सँ त' नीक रुझान बुझाइत अछि त' की ओ व्यवहारिक रूप मे नै छै?
से जे आहाँके सर्वे करेबाक हुए त' अहाँ फेसबुके पर करबा लिय जे यदि हम पोथी आ मटेरिअल उपलब्ध कराबी त' कतेक आदमी एहन छथि जे मैथिली पढ़' चाहैत छथि? तहन आहाँके बुझा जाएत जे कतेक रुझान छनि. ओना नै बुझायत.| अहाँके संग मे जं सए आदमी छथि त' अहाँके बुझाएत जे हमरा लग मे सए आदमी छथि. मुदा देखियौ जे दिल्ली, जतय अहाँ रहय छी, तत' कतेक आदमी अछि. एक-एक मोहल्ला मे पाँच-पाँच हजार मैथिल छथि आ आहाँके आश्चर्य लागत जे ४०० काँपी हमर पत्रिकाक दिल्ली मे बिकायत अछि मुदा सामान्य लोक नै लइए. वैह विद्यार्थी कीनैए जे यू.पी.एस.सी. केर परीक्षा द' रहल अछि आओर कोनो आदमी बहुत कम. जेना अहाँ लेखक छी त' अहाँ ल' लेलहुं जे पत्रिका मे की निकललैयै से देख लियै. त' लेखक-पाठक केर सम्बन्ध जे छै से लेखक-लेखक तक रहि गेलैए. पाठक नै बनि पओलए आ से पोथीए टा मे नै पत्रिको मे छै.
की मैथिली कें प्राथमिक शिक्षा आओर माध्यमिक शिक्षा स्तर पर शुरू करब आवश्यक नै?
निश्चित हेबाक चाही. तखने टा मैथिलीक उत्थान हएत. प्राथमिक स्तर पर लोक मैथिली नै पढने रहैत छथि आ बाद मे पढ़ि जिनका जेना बुझाएत छनि तेना लिखै छथि त' हमरा सभ कें कष्ट होइत अछि. हर ३ कोस पर बोली मे अंतर अबैत छै त' जेना मोन हुए तेना बाजू मुदा लिखित रूप मे एकरूपता हेबाक चाही. जड़ि सँ जूड़ल नै रहबाक कारणें एकरूपता नै आबि पबैत छै तंइ ई जरूरी छै जे प्राथमिक स्तर पर पढ़ाइ शुरू हो.
आइ-काल्हि इहो सुनबा मे अबैत अछि जे मैथिली कें मैथिलक विद्वाने सँ क्षति भ' रहल छै ?
बहुत गोटे छथि. मुदा मैथिल समाज मे लेखक आ साहित्याकारे टा नै छथि. सभ छथि मुदा' ई आरोप खाली साहित्यकारे टा तक सीमित छै. मुदा मैथिल भाषी जे पदाधिकारी छथि, नेता छथि तिनको त' ओतबे दायित्व छनि जतेक लेखक केर छै, शिक्षक केर छै. जँ ओ सभ संग दितथि त' आइ प्राथमिक शिक्षा मे नै होएतै मैथिली ?
माने अहाँक कहब अछि जे मैथिलीक उत्थान में राजनीतिक आ प्रशासनिक पहल बेसीआवश्यक अछि?
एकदम. जाबे धरि कोनो भाषा कें राजाश्रय नै प्राप्त होइ छै ताबे तक ओकर उत्थान नै होए छै. अहाँ नेपाल मे देखियौ मैथिली दोसर भाषा छै. ओकर महत्व छै. ओतए मैथिली के जे हेड होए छै तकरा राजा सँ या प्रधानमन्त्री सँ डाएरेक्ट भेंट होए छै. ओकरा एतेक अवसर देल जाए छै. मुदा अहाँ ओतय से नै अए. कोनो कोन्टा मे राखल अछि मैथिली. एक-सँ-एक मैथिल भेलाह जे चाहितथि त' मैथिली के बहुत आगू बढ़ा सकै छलथि मुदा कहाँ भेल?
जखन अहाँक भूमि पर मैथिली प्राथमिक शिक्षा मे नै पढ़ाई होएयै त' अहाँ की उम्मीद करय छी जे दिल्ली, बम्बई, कलकत्ता मे होयत?
लेकिन अहाँके सुनि क' आश्चर्य हैत जे दड़िभंगा, मधुबनी मे उड़िया आ बंगला के प्राथमिकता देल गेलैये आ ओकरा पढाओल जेबाक लेल अलग सँ शिक्षक बहाल कएल गेल अछि. अहाँ सोचि लियौ जे हम सभ राजनीतिक रूपसँ प्रशासनिक रूपसँ कतेक अक्षम छी जे अहाँक मात्रभूमि पर उड़िया आ बंगला पढ़ाइ हैत लेकिन अहाँके मैथिली पढाइ नै होएयै. तै लेल ने कोनो प्रशासनिक व्यवस्था आ ने राजनीतिक व्यवस्था. आ हम सभ त' सुतले छी. हम सभ कहियो हल्ला-गुल्ला नै करय छी.
एकर की निदान?
एकर निदान ई जे गोल-गोल बनाएल जाय. जिला-स्तर पर प्रदर्शन. आन्दोलन होअय, मांग कएल जाय जे ई अधिकार छै. संविधान अधिकार देने छै जे हमर प्राथमिक स्तर के शिक्षा हमर मातृभाषा मे होअय. संविधान के मौलिक अधिकार मे अछि ई, नीति-निर्देशक तत्व मे सेहो छै. आश्चर्य हएत अहाँके जे मैथिली में विश्वविद्यालय स्तर पर पोथी छपय तए लेल एक दिस केंद्र सरकार एक करोड़ रुपैया केर आवंटन केलक. जै मे विभिन्न विषयक जेना फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलोजी... केर आन भाषाक पोथीक मैथिली मे अनुवाद करेबाक योजना अछि. ई योजना भारत सरकार के छै लेकिन दोसर दिस देख लिय जे मैथिली प्राथमिको स्तर पर पढाइ नै होएयै... ई विरोधाभास नै बुझाइयै?
-त' की राज्य सरकार दोषी?
राज्य सरकार दोषी, हम-अहाँ दोषी. एखुनका युग छै जे छीन लिय. मंगबै तखने भेटत. चुप रहब कतउ नै भेटत. हम सभ ने मांग करय छियै आ ने सरकार सोचैये. जँ मांग करय छियै त' मंच पर करय छियै आ निच्चा उतरैत बिसरि जायत छियै.
बिहार मे मैथिली भाषाक प्रयोगक आधार पर कोन क्रम मे राखब?
जँ अहाँ जनसँख्या के दृष्टिकोणसँ देखबै, बजनिहारक दृष्टिकोणसँ देखबै त' हिंदी के बाद त' मैथिलिए अछि. लेकिन दोसर भाषा कहियो नै बनि सकल. दोसर भाषा उर्दू अछि. आ से बनबय वला अहाँके मैथिलभाषी डा. जगर्नाथ मिश्र छथि. आ अहाँके ईहो आश्चर्य लागत जे काँलेज में बी.पी.एस.सी. मे केदार पाण्डेय मैथिली लागू केने छथि.... ने कर्पूरी ठाकुर, ने जगर्नाथ मिश्र ने बी.पी.मंडल. जतेक अप्पन मैथिल भाषी भेल छथि से सभ कियो नै. आ संविधानो मे वाजपेयी जी स्थान दियौलन्हि. अहाँ देखियौ जे आन ठामसँ अहाँके भेट जाएयै लेकिन अहाँ अपने ओते तत्पर नै छी. आ जाबे तत्पर नै हैब ताबे नै भेटत.
अए सम्बन्ध में अपनेक आचरण अनुकरणीय अछि?
देखियौ सभ ठाम आदमी छै जे चाहय छै काज कर' फेर हमरो सन-सन बहुत गोटा छथि लेकिन हिम्मत टूइट जाएत छै जे एतेक केलहुं ककरा लए केलहुं. आइ अहाँ पाछू घूमि क' देखियौ त' बहुतो गोटा के सक्रियता छनि. आ ओही बल पर हमहूँ बैसल छियै, ई नै जे हमरे बले एतेक.
आजुक युवा पीढ़ीक लेल किछ सनेश?
हम एतबे कहबन्हि हुनका सभके जे मैथिली हुनकर मातृभाषा छन्हि आ अए देश मे रहनिहार सभ कियो अपन मातृभाषा के सेहो जानय आ राष्ट्रभाषा के सेहो जानय. अमरनाथ झा कहने रहथिन्ह जे "मै गर्व से कहता हूँ कि मेरी मातृभाषा मैथिली है और मै राष्ट्रभाषा का भी सम्मान करता हूँ". आइ के युवा जतय रहथि तत' अपन मातृभाषाक सेहो अपना संग राखथि. देखियौ जे आइ बंगला मे साल मे ३०० उपन्यास छपैत अछि आ अहाँ ओत' तीन टा, तकर की कारण? युवा लोकनि के चाहियैन्ह जे मैथिली पढ़थि, मैथिली लिखथि, मैथिली बजथि. मैथिली बचेबाक लेल एकटा बहुत नीक तरीका छै जे अपना परिवार मे जे कोनो पत्राचार करी से मैथिली मे करी. मैथिली के प्रयोग करैत रहब त' मैथिली कहियो दूर नै होएत.
हम एतबे कहबन्हि हुनका सभके जे मैथिली हुनकर मातृभाषा छन्हि आ अए देश मे रहनिहार सभ कियो अपन मातृभाषा के सेहो जानय आ राष्ट्रभाषा के सेहो जानय. अमरनाथ झा कहने रहथिन्ह जे "मै गर्व से कहता हूँ कि मेरी मातृभाषा मैथिली है और मै राष्ट्रभाषा का भी सम्मान करता हूँ". आइ के युवा जतय रहथि तत' अपन मातृभाषाक सेहो अपना संग राखथि. देखियौ जे आइ बंगला मे साल मे ३०० उपन्यास छपैत अछि आ अहाँ ओत' तीन टा, तकर की कारण? युवा लोकनि के चाहियैन्ह जे मैथिली पढ़थि, मैथिली लिखथि, मैथिली बजथि. मैथिली बचेबाक लेल एकटा बहुत नीक तरीका छै जे अपना परिवार मे जे कोनो पत्राचार करी से मैथिली मे करी. मैथिली के प्रयोग करैत रहब त' मैथिली कहियो दूर नै होएत.
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साक्षात्कार