शौचालय उपयोगक सीख देइत बाल कथा 'मुत्ती'


मध्याह्न भोजनक बाद सोहन क'ल पर जा थारी धोलक, कुर्रा केलक, मुंह पोछलक. थारी डबलूआ कें थमहा मुत्ती करबा लेल इसकूल भवनक पाछां गेल कि एकटा सांप कें फेंच काटि बैसल देखलक. ओकर मुत्ती सुटकि गेलै. ओ भागल-भागल डबलूआ लग आएल आ ओकरा ल' गेल सांप देखेबाक लेल. सांप एखनो बैसले छलै. कनिए काल मे इसकूलक आओर बच्चा सभक जुटानी होमए लगलै. सांप आब देखा नै रहल छलै तइयो बच्चा सभ जुटिते गेलै. किछु कालक बाद भीड़ कम होइत-होइत खतम भ’ गेलै.

किलास शुरू भ' गेलै मुदा डबलूक कोनो पता नै छल. सोहन ओकर बाट तकैत रहल. ओ चिंता मे पड़ल छल जे ओकर थारी डबलू रखने अछि. किलास ख़तम भ' गेलै मुदा डबलू नै एलै. सोहन डबलू कें तकैत-तकैत इसकूल भवनक पाछां आएल कि मुंह बौने रहि गेल. डबलू नोरे-झोरे कानि रहल छल. ओकर मुंह कारी झामर भेल छलै. सोहन कें बुझैत देरी नै भेलै जे ओकरा सांप काटि लेलकैए. ओ डबलू कें नेने नेने मास्टर साहब लग गेल आ सबटा खेरहा सुना टाहि पारि कानए लागल.

मास्टर साहब झट द' डबलूक जांघ कें गमछा सं कसि क' बान्हि देलनि. सोहन कें ब्लेड अनबा लेल किलास में भेजलनि. मास्टर साहब ब्लेड सं डबलूक आंगुर चीरि देलनि. डबलू बपहारि काटि रहल छल. मास्टर साहब मोटर साइकिल इसटाट केलनि आ सोहन कें बैसबा लेल इशारा केलनि. ओम्हर सं प्रधान शिक्षक डबलू कें मास्टर साहब आ सोहनक मध्य बैसा देलनि. प्रधान शिक्षक सोहन सं डबलू कें कसि क' ध' बैसबाक हिदायत देलनि.

डबलू कें कनैत देखि सोहन सेहो नोरे झोरे कानि रहल छल मुदा डबलू कें कसिया क' धेने छल. ओ ग्लानि सं भरि गेल छल. वएह ओकरा सांप देखबा लेल बजओने छलै. आइ जे ओ सांप देखबा लेल ओतेक बच्चा सभ कें एकट्ठा नै केने रहैत त' ई घटना नै होइतै. 

सोहन यएह सभ सोचिए रहल छल कि ओ सभ बेनीपट्टी अस्पताल पहुंचि गेल. डबलू बेहोश जकां भ' गेल छल. ओकर मुंह सं गाउज निकलि रहल छल. मास्टर साहब डबलू कें कोरा नेने डाक्टरक चैंबर मे ल' गेलाह. झटपट इलाज शुरू भ' गेलै. करीप आध घंटाक बाद मास्टर साहब बाहर आबि सोहनक माथ पर हाथ फेरैत ओकरा चाबस्सी देलनि. ओकर तत्परता सं डबलूक जान बांचि गेल छलै. संगहि मास्टर साहब शौचालय इस्तेमाल करबाक हिदायत देलनि. आइ ने ओ मुत्ती करबाक लेल इसकूल भवनक पाछां गेल रहैत आ ने एतेक किछु भेल रहैत!

— रूपेश त्योंथ 

रचना साभार: मैथिली बाल पत्रिका 'बाल बन्धु'
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