'बूढ़ भेल बलाए' नाटकक भेल समीक्षा बैसक


कलकत्ता : स्थानीय विद्यापति विद्यामंदिरमे मैथिली मौलिक नाटक 'बूढ़ भेल बलाए' केर समीक्षा बैसक भेल. बेरूपहर 4 बजेसं आयोजित एहि बैसकमे नाटकक लेखक डॉ. योगेन्द्र पाठक 'वियोगी' आ निर्देशक गंगा झा सहित कतिपय नाट्यप्रेमी ओ कलाकार लोकनि उपस्थित छलाह. जीबेन्द्र मिश्र केर अध्यक्षतामे आयोजित एहि बैसकीमे नाटकक त्रुटिपर इजोत देल गेल त' एकर सफल मंचन आ नीक संवाद आ कहिनी केर प्रशंसा भेल. 

शिल्पक कमीपर धियान दियओबैत जीबेन्द्र मिश्र बजलाह जे नाटकक अंतमे किछु गड़बड़ी भेल. दृश्य एक्कहि छल समूचा नाटकमे आ बूढ़क आओरो पक्ष एहिमे समाहित कएल जा सकैत छल. नाटकक महिला कलाकार किरण झा केर उपस्थित लोकनि मुक्त कंठसं प्रशंसा केलनि. नबोनारायण मिश्रक अभिनय सेहो लोककें प्रभावित केलक. एहि अवसरपर नाट्यविधाक एक्सपर्ट लोकनिक कमेन्ट सेहो समाहित कएल गेल. कमल मोहन चुन्नू केर कमेन्ट जे 'नाटकमे निर्देशक असहाय बुझेलाह' पर निर्देशक गंगा झा बजलाह जे रिहर्सल केर कमी रहल छल आ से सत्य अछि. 

नाटकक प्रकाशनपर लेखक वियोगीक विचार छलनि जे समीक्षा बैसकक बात सभकें धियानमे रखैत किछु दृश्यक पुनर्लेखन होएत आ तखन नाटक प्रेसमे जाएत. दर्शक लोकनि नाटकसं संतुष्ट छलाह त' समीक्षककें अनेको गलती भेटलनि. लाइट, साउंड, दृश्य जनित कमी सबहक बादो नाटक दर्शकक दृष्टिसं सफल कहल गेल. नाटकक विषय-वस्तु मैथिली पारंपरिक विषयसं कनेक हटिक' अछि.

एहि बैसकमे भवनाथ झा, मिथिलेश कुमार झा, दयाशंकर मिश्र, रूपेश त्योंथ, सुधाचंद्र झा आदि लोकनि उपस्थित छलाह. 

(रिपोर्ट : मिथिमीडिया ब्यूरो)
Previous Post Next Post