मैथिली अधिकार दिवस पर गजल

भीख नै अधिकार चाही
आब नै किछु आर चाही

आउ नबतुरिया अहाँकेँ
बुधि बलक हथियार चाही

कर्मेकेँ मोजर करी आ
जुल्मकेँ प्रतिकार चाही

नित रहथि संगे बनल ओ
बूढ़केँ सत्कार चाही

मांग सभटा ठीक छै धरि
संग आ सरियार चाही

चानपर छी जा चुकल तैं
चानकेँ किछु पार चाही

मोनकेँ दमका दए से
रस भरल रसधार चाही

मैथिलीकेँ मान हो आ
मायकेँ मनुहार चाही

छी रहब मैथिल सदति बस
यैह टा गलहार चाही

जागि ई मिथिला चुकल अछि
हिय भरल अंगार चाही

ली शपथ राजीव आबू
माथ परका चार चाही

— राजीव रंजन मिश्र
Previous Post Next Post